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४६ : आस्तिक : नास्तिक
आस्तिक कौन : नास्तिक कौन
संसार में दो प्रकार के लोग हैं-आस्तिक और नास्तिक। दूसरे शब्दों में धार्मिक और अधार्मिक। यह एक तथ्य है कि बहुप्रतिशत लोग स्वयं को धार्मिक/आस्तिक कहलाना पसंद करते हैं, परंतु आत्मा, परमात्मा, स्वर्ग, नरक, पूर्वजन्म, पुनर्जन्म आदि को मानने मात्र से कोई आस्तिक या धार्मिक नहीं बन जाता। क्रियाकांड करने और धर्मस्थान में जाने से भी आस्तिकता/धार्मिकता का कोई सीधा संबंध नहीं है। फिर आस्तिक/ धार्मिक कौन होता है ? अधार्मिक/नास्तिक कौन होता है?
मेरी दृष्टि में जिसके मन में पाप के प्रति ग्लानि नहीं होती, वह नास्तिक या अधार्मिक होता है। इसके ठीक विपरीत जिसके मन में पाप का भय रहता है, वह आस्तिक या धार्मिक होता है। इस प्रसंग में मैं एक कहानी सुनाया करता हूंस्वर्गगामी : नरकगामी
___ नारद, पर्वत और वसु-ये तीन छात्र गुरु के पास अध्ययन करते थे। एक दिन एक मुनि उधर से गुजरे। उन्होंने अपने साथ रहे मुनि को बताया कि इन तीन छात्रों में से एक तो स्वर्गगामी है और दो नरकगामी। गुरु के कानों में ये शब्द पड़े। वे चिंतित हो गए। उनके मन में विचार आया-मेरे शिष्य नरकगामी बनें, यह मेरी बहुत बड़ी विफलता है। मेरे लिए शर्म की बात है।
गुरु अनुभवी थे। उन्होंने परीक्षा करके तीनों शिष्यों की स्थिति आकलित करने का निर्णय किया। इस दृष्टि से एक दिन उन्होंने आटे के तीन मुर्गे बनाए और तीनों शिष्यों को बुलाकर आदेश की भाषा में कहा-'जाओ, तीनों एक-एक मुर्गा ले जाओ और जहां कोई न देखे, वहां
आस्तिक : नास्तिक
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