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निष्ठा रखें और अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्प स्वीकार करें। ईमानदारी इसका फलित है। आपको आकाश में नहीं, धरती पर चलना है। अतः समझना चाहिए कि ईमानदारी और बेईमानी का संबंध मात्र कानून से नहीं है, कानून का लंघन ही बेईमानी नहीं है। छिप-छिपकर गलत काम करना सबसे बड़ी बेईमानी है। ईमानदारी का संबंध व्यक्ति की सद्वृत्तियों से है। केवल शब्द पकड़कर चलनेवाला सही अर्थ में ईमानदार नहीं हो सकता। अतः अपनी आंतरिक वृत्तियां देखकर चलें, आत्म-निरीक्षण करें तथा दूसरे वर्गों के साथ सामंजस्य स्थापित करके प्रामाणिकता का परिचय दें। इससे आध्यात्मिक और लौकिक दोनों दृष्टियों से आप सुखी हो सकेंगे।
नोहर २० फरवरी १९६६
धर्म और व्यवहार
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