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ग्रन्थ में उद्धृत ग्रन्थों की पृष्ठसङ्ख्या इस ग्रन्थ के स्वाध्याय के समय पाठक देखेंगे कि इसमें स्थान स्थान पर, अपने मत की प्रामाणिकता के प्रदर्शनार्थ, आचार्य बुद्धघोष ने त्रिपिटक के ग्रन्थों से बहुत अधिक उद्धरण दिये हैं। मूल ग्रन्थों के उन पाठों को देखने के लिये हमने वहाँ यथास्थान उन पाठों के आगे उन ग्रन्थों की पृष्ठसङ्ख्या भी पाठकों की सुविधा हेतु ब्रैकेट ( ) में अङ्कित कर दी है।
हमने यह पृष्ठसङ्ख्या बौद्धभारतीग्रन्थमाला में अदयावधि (सन् २००२ तक) प्रकाशित त्रिपिटक एवं अनुपिटक साहित्य के ग्रन्थों से ही दी है। शेष ग्रन्थों के (विशेषतः अभिधम्मपिटक के ग्रन्थों के) लिये हमने नालन्दा-संस्करण के ग्रन्थों को.आधार माना
-सम्पादक