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विश्वतत्त्वप्रकाशः
९०. भोजसागर — ये तपागच्छ के विनीतसागर के शिष्य थे । इन की ज्ञात तिथियां सन १७२९ से १७५३ तक हैं । इन की एकमात्र कृति द्रव्यानुयोगतर्कणा है । इस में द्रव्यों का स्वरूप तथा उस के वर्णन में विविध नयों का उपयोग स्पष्ट किया है । इस पर लेखक ने स्वयं टीका भी लिखी है ।
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[ प्रकाशन - रायचन्द्र शास्त्रमाला, बम्बई १९०५ ]
९१. क्षमाकल्याण – ये खरतरगच्छ के अमृतधर्म उपाध्याय के शिष्य थे । इन की ज्ञात तिथियां सन १७७२ से १७७९ तक हैं प्रसिद्ध नैयायिक विद्वान अन्नम्भट्ट की कृति तर्कसंग्रह पर इन्हों ने तर्कक विकका नामक टीका सं. १८२८ ( = सन १७७२ ) में लिखी | इन की अन्य रचनाएं इस प्रकार हैं - होलिकापर्व कथा, अक्षयतृतीया कथा, मरुत्रयोदशीकथा, श्रीपाल चरित्र, समरादित्य - चरित्र, यशोधरचरित्र, विचार शतबीजक, सूक्तमुक्तावली, खरतरगच्छपट्टावली, प्रश्नोत्तरसार्धशतक व पर्युषणष्टान्हिका ।
९२. अन्यलेखक – अब तक हम ने तर्कविषयक ग्रंथों के उन लेखकों का संक्षिप्त विवरण दिया जिन के समय तथा कृतियों के विषय में कुछ निश्चित जानकारी प्राप्त है । हस्तलिखित सूचियों में इन के अतिरिक्त कुछ अन्य ग्रंथों के नाम भी मिलते हैं। जिनरत्नकोश से ज्ञात होनेवाले ये नाम इस प्रकार हैं- शांतिवर्णी कृत प्रमेयकण्ठिका ( परीक्षामुख का स्पष्टीकरण ), वादिसिंहकृत प्रमाणनौका, वीरसेनकृत प्रमाणनौका, विधानन्दिकृत तर्कभाषाटीका, गुणरत्न ( विजयसमुद्र के शिष्य ) की तर्कभाषाटीका, दर्शन विजयकृत स्याद्वादबिंदु, वाचकसंयमकृत स्याद्वादपुष्पकलिका, कीर्तिचन्द्रकृत वेदादिमतखण्डन, विजयहंसकृत न्यायसार टीका, शान्तिचन्द्रकृत सर्वज्ञ सिद्धिद्वात्रिंशिका, व हर्षमुनिकृत प्रमाणसार । इन लेखकों तथा ग्रन्थों के बारे में हमें अधिक जानकारी नही मिल सकी ।
९३. अन्य विषयों के ग्रन्थों में तार्किक अंश - ऊपर जिन ग्रन्थों का विवरण दिया है उन का विषय प्रायः पूर्ण रूप से तार्किक चर्चा रहा है। इसके अतिरिक्त अन्य विषयों के ग्रन्थों में भी प्रसंगवश