Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ सप्तपर्ण प्रियंगु खण्ड 1, प्रकरण : 1 २-श्रमण-संस्कृति का प्राग-ऐतिहासिक अस्तित्व 23 महात्मा बुद्ध के बोधि-वृक्ष का महत्त्व आरम्भ से हो रहा है। जैन के 24 तीर्थङ्करों के 24 ज्ञान-वृक्ष माने गए हैंतीर्थङ्कर ज्ञान-वृक्ष १-वृषभ न्यग्रोध २-अजित ३-संभव शाल ४-अभिनन्दन प्रियाल ५-सुमति ६-पद्मप्रभ छत्राम ७-सुपार्श्व सिरीस ८-चन्दप्रभ नाग ६-सुविधि मल्ली १०-शीतल : प्लक्ष ११–श्रेयांस तिंदुक १२–वासुपूज्य पाटल १३-विमल जम्ब १४-अनन्त अश्वत्थ १५--धर्म दधिपर्ण १६-शान्ति नंदि १७-कुन्थु तिलक १८-अर आम्र १६-मल्ली अशोक २०-मुनिसुव्रत चंपक . २१–नमि बकुल २२-नेमि वेतस २३-पाव धातकी २४-महावीर शाल' सिन्दूर भी आर्य-पूर्व नाग-जाति की वस्तु है। श्रमण-साहित्य में नदी, वृक्ष आदि का उत्सव मनाने के अनेक उल्लेख प्राप्त होते हैं / इस प्रकार हम देखते हैं कि आचार्य १-समवायांग, समवाय 157 / २-राजप्रश्नीय, पृ० 284 /