Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 505
________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन 1831 पसिणाणं-यहाँ तृतीया के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है / (446) 196 विसएहि-यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (452) 16 / 36 अग्गिसिहा दित्ता-यहाँ द्वितीया के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है / (457) . 1991 यहाँ गौरव आदि शब्दों में पंचमी के स्थान में सप्तमी विभक्ति है / (465) 2041 संपराए---यहाँ षष्ठी के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है / (478) 2046 उत्तमट्ठ-यहाँ सप्तमी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है। (476) 21113 सव्वेहिं भूएहि-यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (485) 21 / 16 माणवेहि-यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (486) .. 21 / 21 परमट्टपएहिं-यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (487) 22 / 8 जा से-'जा' में तृतीया और 'से' में चतुर्थी विभक्ति है / (460) 22149 भोगेसु–यहाँ पंचमी के अर्थ में सप्तमो विभक्ति है / (467) 23 / 3 ओहिनाणसुए-यहाँ तृतीया के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है / (468) 23 / 5 तेणेव कालेणं-यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (466) 23 / 12 महामुणी- यहाँ तृतीया के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है / (500) 23 / 80 सारीरमाणसे दुक्खे—यहाँ तृतीया के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है / (510) 25 / 4 तेणेव कालेणं-यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति, है / (523) 258 तेसिं-यहाँ चतुर्थी के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है। (523) 25 // 18 विज्जामाहणसंपया-यहाँ षष्ठी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (526) 25 / 27 मुहाजीवी-यहाँ द्वितीया के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है / (528) 25 // 32 सव्वकम्म विनिम्मुक्कं-यहाँ प्रथमा के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (526) 26 / 7 गुरुपूया-यहाँ सप्तमी के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है। (535) 27 / 14 भत्तपाणे-यहाँ तृतीया के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है। (553) 30 / 16 सल्ली-यहाँ सप्तमी के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है / (605) 30 / 20 चरमाणो–यहाँ षष्ठी के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है / (605) 30 / 28 एगंतं-यहाँ सप्तमी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है। (608) 3112 असंजमे--यहाँ पंचमी के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है / (612) 31 / 13 गाहासोलसएहिं—यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (614) 31 / 17 भावणाहिं—यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (616) .. 32 / 110 तस्स सव्वस्स दुहस्स-यहाँ तीनों शब्दों में पंचमी के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है / (639) 33318 आणुपुचि-यहाँ तृतीया के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (641) 33 / 18 सव्वेसु वि पएसेसु–यहाँ तृतीया के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है / (646)

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