Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 506
________________ खण्ड 2, प्रकरण : व्याकरण-विमर्श 477 34144 तेंण-यहाँ पंचमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (656) 34 / 51 तेण-यहाँ पंचमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (660) 34 / 56 दुग्गई—यहाँ सप्तमी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (661) 35 / 2 जेहिं–यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (664) 35 // 13 कयविक्कए—यहाँ पंचमी के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है / (667) ३६।२६१।१,२-इनमें तृतीया के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है। (706) ३-वचन (क) वचन-व्यत्यय . (1) बहुवचन के स्थान पर एकवचन 3 / 16 से दसंगेऽभिजायई ___4 / 1 जणे पमत्ते 5 / 28 भिक्खाए वा गिहत्थे वा 12 / 13 जहिं / 12 / 18 जो 1816 दारे य परिरक्खए 21 / 17 पत्ते . 23 / 17 पंचम 23 / 36 पंचजिए . 23150 अगो 24 / 11 आहारोवहिसेज्जाए 36 / 4 अरूवी 36 / 48 तं . 36 / 260 परित्तसंसारी 36 / 262 गुणगाही (2) एकवचन के स्थान पर बहुवचन 12 / 2 उच्चारसमिईसु .. ४-समास 3 / 5 कम्मकिब्बिसा इसका संस्कृत रूप है 'कर्मकिल्बिषाः'। प्राकृत व्याकरण के अनुसार पूर्वापरनिपात करने पर इसका रूप 'किल्बिषकर्माणः' होगा / (183)

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