Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 424 उत्तराध्ययन एक : समीक्षात्मक-अध्ययन जनपद का मुख्य भाग (1) ग्राम कृषक आदि लोगों का निवास स्थान / (2) नगर कर-मुक्त वस्ती। (3) राजधानी- जनपद का मुख्य नगर / (4) निगम- व्यापारिक नगर / (5) आकर- खान का समीपवर्ती गाँव, मजदूर-बस्ती। (6) पल्ली- बीहड़ स्थान में होने वाली बस्ती, चोरों का निवास स्थान / (7) खेट जिसके रेत का प्राकार हो, वह बस्ती। (8) कर्बट छोटा नगर। (6) द्रोणमुख- जहाँ जल और स्थल दोनों निर्गम और प्रवेश के मार्ग हों / वृत्तिकार ने इस प्रसंग में भृगुकच्छ और ताम्रलिप्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया है। (10) पत्तन- (क) जलपत्तन-जलमध्यवर्ती द्वीप। (ख) स्थलपत्तन-निर्जल भू-भाग में होने वाला। वृत्तिकार ने जलपत्तन के प्रसंग में कानन्द्वीप और स्थलपत्तन के प्रसंग में मथुरा का उदाहरण प्रस्तुत किया है। (11) मडंब - जिसके ढाई योजन तक कोई दूसरा गाँव न हो / (12) संबाध जहाँ चारों वर्गों के लोगों का अति मात्रा में निवास हो। (13) आश्रमपद- तापस-निवास। (14) विहार--- जहाँ देवगृह या भिक्षुओं के निवास स्थान विपुल मात्रा में हों। (15) सन्निवेश- यात्रा से आये हुए मनुष्यों के रहने का स्थान / (16) समाज- ऐसा स्थान जहाँ पथिकों का आवागमन अधिक हो / (17) घोष आभीरों की बस्ती। (18) स्कन्धावार- सैनिक छावनी, ऊर्ध्व भू-भाग पर होने वाला सैनिक निवास / (19) सार्थ व्यापारी समूह का विश्राम-स्थान / (20) संवर्त भयभीत लोगों का सुरक्षा-स्थान / ' १-बृहद्वृत्ति, पत्र 605 /