Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 430 उत्तराध्ययन : एक समीक्षालक अध्ययन यवनिका का प्रयोग प्राचीन-काल में बड़े घरों की बहू-बेटियां पुरुषों के समक्ष साक्षात् नहीं आती थीं। जब कभी उन्हें सभाओं में आना-जाना होता, तो वहां एक पर्दा लगाया जाता था। एक ओर पुरुष और दूसरी ओर स्त्रियाँ बैठ जाती थीं। ___पाटलिपुत्र के राजा शकडाल के मंत्री नंद की सातों पुत्रियों को लौकिक काव्य सुनाने के लिए सभा में बुलाया गया। वे आई। उन्हें एक यवनिका के पीछे बिठाया गया और एक-एक को काव्य सुनाने के लिए कहा गया।' वेश्या वेश्याएं नगर की शोभा, राजाओं को आदरणीया और राजधानी की रत्न मानी जाती थीं। उज्जैनी में देवदत्ता नाम की प्रधान गणिका रहती थी। ___ कभी-कभी राजा वेश्याओं को अपने अन्तःपुर में भी रख लेते थे। मथुरा के राजा ने काला नाम की वेश्या को अपने अन्तःपुर में रख लिया था। प्रसाधन गंध, माल्य, विलेपन और स्नान ( सुगंधी द्रव्य ) का प्रयोग प्रसाधन के लिए किया जाता था। केशों को संवारने के लिए कंघी का उपयोग होता था। कई स्त्रियाँ पूरा दिन अपने शरीर की साज-सज्जा में व्यतीत कर देती थीं। प्रायः गृहिणियाँ अपने पति के भोजन कर लेने पर भोजन, स्नान कर लेने पर स्नान तथा अन्यान्य प्रसाधन भी अपने पति के कर लेने पर ही करती थीं। भोजन चावलों से निष्पन्न ओदन और उसके साथ अनेक प्रकार के व्यञ्जन प्रतिदिन के भोजन में काम आते थे। १-सुखबोधा, पत्र 28 / २-वही, पत्र 64 / ३-वही, पत्र 218 / ४-वही, पत्र 120 / ५-उत्तराध्ययन, 20129 / ६-सुखबोधा, पत्र 97 / ७-वही, पत्र 97 / ८-उत्तराध्ययन, 20129 / ९-वही, 12 // 34 /