Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन साधारण हैं। मेरे पास 16 हजार स्त्रियाँ हैं। मुझे काम-भोगों को त्याग सुखपूर्वक रहना चाहिए।" खड़े ही खड़े उसने भावना की वृद्धि की और प्रत्येक-बोधि को प्राप्त कर लिया। ४-नग्गति (नगगति') जैन-ग्रंथ के अनुसार गांधार जनपद में पुडवर्द्धन नाम का नगर था / वहाँ सिंहरथ नाम का राजा राज्य करता था। एक बार उत्तरापथ से उसके दो घोड़े भेंट आए। ____ एक दिन राजा और राजकुमार दोनों घोड़ों पर सवार हो उनकी परीक्षा करने निकले। राजा जिस घोड़े पर बैठा था, वह विपरीत शिक्षा वाला था। राजा ज्यों-ज्यों लगाम खींचता त्यों-त्यों वह तेजी से दौड़ता था। दौड़ते-दौड़ते वह बारह योजन तक चला गया। राजा ने लगाम ढोली छोड़ दी। घोड़ा वहीं रुक गया। उसे एक वृक्ष के नीचे बाँध राजा घूमने लगा / फल खा कर भूख शान्त की। रात बिताने के लिए राजा पहाड़ पर चढ़ा / वहाँ उसने सप्तभोप वाला एक सुन्दर महल देखा / राजा अन्दर गया। वहाँ एक सुन्दर कन्या देखो। एक दूसरे को देख दोनों में प्रेम हो गया। राजा ने कन्या का परिचय पूछा, पर उसने कहा-"पहले मेरे साथ विवाह करो, फिर में अपना सारा वृत्तान्त तुम्हें बताऊंगी।" __राजा ने उसके साथ विवाह किया। कन्या का नाम कनकमाला था। रात बीती / प्रातःकाल कन्या ने कथा सुनाई। राजा ने दत्तचित्त हो कथा सुनी। उसे जातिस्मरण ज्ञान हो गया। वह एक महीने तक वहीं रहा। एक दिन उसने कनकमाला से कहा-"प्रिये ! शत्रुवर्ग कहीं मेरे राज्य का नाश न कर दें, इसलिए अब मुझे वहाँ जाना चाहिए / तू मुझे आज्ञा दे।" कनकयाला ने कहा"जैसी आपका आज्ञा ! परन्तु आपका नगर यहाँ से दूर है / आप पैदल कैसे चल सकेंगे? मेरे पास प्रज्ञप्ति विद्या है, आप इसे साध लें।" राजा ने विद्या की साधना की। विद्या सिद्ध होने पर उसके प्रभाव से अपने नगर पहुंच गया। राजा को प्राप्त कर लोगों ने महोत्सव मनाया। सामंतों ने राजा से पूर्व वृत्तान्त पूछा / राजा ने सारी बात बताई / सब आश्चर्य से भर गए / १-कुम्भकार जातक ( सं० 408), जातक खण्ड 4, पृ० 39 / २-बौद्ध जातक (सं० 408 ) में इसे नग्गजी और शतपथ ब्राह्मण (8 / 1 / 4 / 10) में नग्नजित् कह कर पुकारा है।