Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 374 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन पञ्चाल। पाणिनि व्याकरण में इसके तीन विभाग मिलते हैं-(१) पूर्व पञ्चाल, (2) अपर पञ्चाल और (3) दक्षिण पञ्चाल / ' -द्विमुख पञ्चाल का प्रभावशाली राजा था।२ पञ्चाल और लाट देश एक शासन के अधीन भी रहे हैं। बौद्ध-साहित्य में उल्लिखित 16 महाजनपदों में पञ्चाल का उल्लेख है। किन्तु जैन-आगम में निर्दिष्ट 16 जनपदों में उसका उल्लेख नहीं है। कनिंघम ने काम्पिल्ल की पहचान उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में फतेहगढ़ से 28. मील उत्तर-पूर्व, गंगा के समीप में स्थित 'कांपिल' से की है।५ कायमगंज रेलवे स्टेशन से यह केवल पाँच मील दूर है। महाराज द्विमुख इसी नगर में शोभाहीन ध्वजा को देख कर प्रतिबुद्ध हुए। हस्तिनापुर इसकी पहिचान मेरठ जिले के मवाना तहसील में मेरठ से 22 मील उत्तर-पूर्व में स्थित हस्तिनापुर गाँव से की गई है। जैन आगमों में उल्लिखित दस राजधानियों में इसका उल्लेख है और यह कुरुजनपद की प्रसिद्ध नगरी थी। जिनप्रभ सूरि ने इसकी उत्पत्ति का ऊहापोह करते हुए लिखा है-"ऋषभ के सौ पुत्र थे। उनमें एक का नाम 'कुरु' था। उसके नाम से 'कुरु' जनपद प्रसिद्ध हुआ / कुरु के पुत्र का नाम 'हस्ती' था। उसने हस्तिनापुर नगर बसाया। इस नगर के पास गंगा नदी बहती थी। पाली-साहित्य में इसका नाम 'हत्थिपुर' या 'हत्थिनीपुर' आता है। १-पाणिनि व्याकरण, 713 / 13 / २-सुखबोधा, पत्र 135-136 / ३-प्रभावक चरित, पृ० 24 / ४-अंगुत्तरनिकाय, भाग 1, पृ० 213 / ५-दी एन्शियन्ट ज्योग्राफी ऑफ इण्डिया, पृ० 413 / ६-सुखबोधा, पत्र 135-136 / ७-स्थानांग, 10 / 3 / 719 / ५-विविध तीर्थकल्प, पृ. 27 : हत्यिपुर या हत्थिनीपुर के पाली विवरणों में इसके समीप गंगा के होने का कोई उल्लेख नहीं है। रामायण, महाभारत, पुराणों में इसे गंगा के पास स्थित बताया है।