Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 385 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन पुरोहित (14 // 3) पुरोहित का नाम मूल सूत्र में उल्लिखित नहीं है। वृत्ति में इसका नाम भृगु बतलाया गया है। देखिये-सुखबोधा, पत्र 204 / यशा (14 // 3) ___ कुरु जनपद के इषुकार नगर में भृगु पुरोहित रहता था। उसकी पत्नी का नाम यशा था। उसके दो पुत्र हुए / अपने पुत्रों के साथ वह भी दीक्षित हो गई। कमलावती (13 // 3) यह इषुकार नगर के महाराज 'इषुकार' की पटरानी थी। इषुकार (14 // 3) यह कुरु जनपद के इषुकार नगर का राजा था। यह इसका राज्यकालीन नाम था। इसका मौलिक नाम 'सीमंधर' था / अन्त में अपने राज्य को छोड़ यह प्रवजित हुआ। बौद्ध-ग्रन्थकारों ने इसे 'एसुकारी' नाम से उल्लिखित किया है। संजय (18 / 1) देखिए-उत्तरज्झयणाणि, पृ० 221 / गर्दमालि (18 / 16) ये जैन-शासन में दीक्षित मुनि थे। पाञ्चाल जनपद का राजा 'संजय' इनके पास दीक्षित हुआ था। भरत (18 / 34) ये भगवान् ऋषभ के प्रथम पुत्र और प्रथम चक्रवर्ती थे। इन्हीं के नाम पर इस देश का नाम 'भारत' पड़ा। सगर (18 / 35) ये दूसरे चक्रवर्ती थे। अयोध्या नगरी में जितशत्रु नाम का राजा राज्य करता था। वह ईक्ष्वाकुवंशीय था। उसके भाई का नाम सुमित्रविजय था। उसके दो पत्नियाँ थींविजया और यशोमती। विजया के पुत्र का नाम अजित था। वे दूसरे तीर्थङ्कर हुए और यशोमती के पुत्र का नाम सगर था। १-बृहद् वृत्ति, पत्र 394 / २-बृहद् वृत्ति, पत्र 394 / ३-उत्तराध्ययन, 14.49 / ४-हस्तिपाल जातक, संख्या 509 /