Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 36 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन .. बलभद्र, मृगा और बलश्री (अध्ययन 19) बलभद्र सुग्रीवनगर (?) का राजा था। उसकी पटरानी का नाम 'मृगा' और पुत्र का नाम 'बलश्री' था। रानी मृगा का पुत्र होने के कारण जनता में वह 'मृगापुत्र' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। देखिए-उत्तरज्झयणाणि पृष्ठ 236, 237 श्रेणिक (2012) ___ यह मगध साम्राज्य का अधिपति था। जैन, बौद्ध और वैदिक-तीनों परम्पराओं में इसकी चर्चा मिलती है। पौराणिक ग्रन्थों में इसकी शिशुनागवंशीय, बौद्ध-ग्रन्थों में हर्यत कुल में उत्पन्न और जैन-ग्रन्थों में वाहीक कुल में उत्पन्न माना गया है / रायचौधरी का अभिमत है कि 'बौद्ध-साहित्य में जो हर्यङ्क कुल का उल्लेख है वह नागवंश का ही द्योतक है। कोवेल ने वे हर्यङ्क का अर्थ 'सिंह' किया, परन्तु इसका अर्थ 'नाग' भी होता है। प्रोफेसर भण्डारकर ने नागदशक में बिम्बिसार को गिनाया है और इन सभी राजाओं का वंश 'नाग' माना है।४ बौद्ध ग्रन्थ महावंश में इस कुल के लिए 'शिशुनाग वंश' लिखा है / 5 जैन-ग्रन्थों में उल्लिखित 'वाहीक कुल' भी नागवंश की ओर संकेत करता है, क्योंकि वाहीक जनपद नाग जाति का मुख्य केन्द्र था। तक्षशिला उसका प्रधान कार्य-क्षेत्र था और यह नगर वाहीक जनपद के अन्तर्गत था। अत: श्रेणिक को शिशुनागवंशीय मानना अनुचित नहीं है। बिम्बिसार शिशुनाग की परम्परा का राजा था-इस मान्यता से कुछ विद्वान् सहमत नहीं हैं। विद्वान् गैगर और भण्डारकर ने सिलोन के पाली वंशानुक्रम के आधार पर बिम्बसार और शिशुनाग को वंश-परम्परा का पृथक्त्व स्थापित किया है। उन्होंने शिशुनाग को बिम्बसार का पूर्वज न मानकर उसे उत्तरवर्ती माना है।६ विभिन्न परम्पराओं में श्रेणिक के विभिन्न नाम मिलते हैं। जैन-परम्परा में उसके दो नाम हैं—(१) श्रेणिक और (2) भंभासार / " नाम की सार्थकता पर ऊहापोह करते १-भागवत महापुराण, द्वितीय र.ण्ड, पृ० 903 / २-अश्वघोष बुद्धचरित्र, सर्ग 11 श्लोक 2 : जातस्य हर्यककुले विशाले...। ३-आवश्यक, हारिभद्रीय वृत्ति, पत्र 677 / ४-स्टडीज इन इण्डिया एन्टिक्वीटीज, पृ० 216 / ५-महाबंश, परिच्छो, गाथा 27-32 / ६-स्टडीज इन इण्डियन एन्टिक्वीटीज, पृ० 215-216 / ७-अभिधान चिन्तामणि 33376 /