Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ खण्ड : 2, प्रकरण : 4 व्यक्ति परिचय 363 हुए लिखा गया है कि वह श्रेणी का अधिपति था, इसलिए उसका नाम 'श्रेणक' पड़ा। जब श्रेणिक बालक था तब एक बार राजमहल में आग लग गई। श्रेगिक भयभीत हो कर भागा। उस स्थिति में भी वह 'भंभा' को आग की लपटों से निकालना नहीं भूला, इसलिए उसका नाम 'भंभासार' पड़ा। बौद्ध-परम्परा में इसके दो नाम प्रचलित हैं—(१) श्रेणिक और (2) बिम्बिसार / श्रेणिक नामकरण का पूर्वोक्त कारण मान्य रहा है। इसके अतिरिक्त दो कारण और बताए हैं-(१) या तो उसकी सेना महती थी इसलिए उसका नाम 'सेनिय' पड़ा मा (2) उसका गोत्र 'सेनिय' था, इसलिए वह 'श्रेणिक' कहलाया।" ___इसका नाम बिम्बिसार इसलिए पड़ा कि इसके शरीर का मोने जैसा रंग था / / दूसरी बात यह है कि तिब्बत के ग्रन्थों में इसकी माता का नाम 'बिम्बि' उल्लिखित मिलता है। अत: इसे बिम्बिसार कहा जाने लगा। ____ पुराणों में इसे अजातशत्रु, विधिसार' कहा जाता है / अन्यत्र इसे 'विंध्य सेन' और 'सुबिन्दु' भी कहा गया है / १-अभिधान चिन्तामणि, स्वोपज्ञ टीका, पत्र 285 / २--(क) त्रिशष्टिशलाकापुरुषचरित्र, 10 / 6 / 106-112 / (ख) स्थानांग वृत्ति, पत्र 461 / ३-इण्डियन हिस्टोरिकल क्वार्टी, भाग 14, अंक 2, जून 1938, पृ० 415 / . ४-वही, पृ० 415 / * ५-धम्मपाल-उदान टीका, पृ० 104 / ६-पाली इंग्लिश डिक्शनरी, पृ० 110 / ७-इण्डियन हिस्टोरिकल क्वाटी, भाग 14, अंक 2, जून 1938, पृ० 413 / ८-भागवत, द्वितीय खण्ड, पृ० 903 / ह-वही, 12 / 1 / १०-भगवदत्त : भारतवर्ष का इतिहास, पृ० 252 / 50