Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ खण्ड 2, प्रकरण : 3 भौगोलिक परिचय 373 भगवान् महावीर ने यहाँ छः चातुर्मास बिताए / 1 आठवें गणधर अकंपित की यह जन्म-भूमि थीं। प्रत्येक-बुद्ध नमि को कङ्कण की ध्वनि से यहीं वैराग्य हुआ था / बाणगंगा और गंडक-ये दो नदियाँ इस नगर को परिवेष्टित कर बहती थी / चौथे निह्नव अश्वमित्र ने वीर निर्वाण के 220 वर्ष पश्चात् 'सामुच्छे दिक-वाद' का प्रवर्तन यहीं से किया था। दशपूर्वधर आर्य महागिरि का यह प्रमुख विहार क्षेत्र था / जैन-आगमों में उल्लिखित दस राजधानियों में मिथिला का नाम है।६।। कम्बोज यह जनपद गान्धार के पश्चिम का प्रदेश था।' डॉ० राधाकुमुद मुखर्जी ने इसे काबुल नदी के तट पर माना है। कुछ इसे बलुचिस्तान से लगा ईरान का प्रदेश मानते हैं। रायस डेविड्स ने इसे उत्तर-पश्चिम के छोर का प्रदेश माना है और इसकी राजधानी के रूप में द्वारका का उल्लेख किया है। ___ यह जनपद जातीय अश्वों और खच्चरों के लिए प्रसिद्ध था। जैन-आगम-साहित्य तथा आगमेतर-साहित्य में स्थान-स्थान पर कम्बोज के घोड़ों का उल्लेख मिलता है / 10 आचार्य बुद्धघोष ने इसे 'अश्वों का घर' कहा है / 11 पञ्चाल और काम्पिल कनिंघम के अनुसार आधुनिक एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद और आस-पास के जिले पञ्चाल राज्य की सीमा के अन्तर्गत आते हैं / 12 पञ्चाल जनपद दो भागों में विभक्त था-(१) उत्तर पंचाल और (2) दक्षिण १-कल्पसूत्र, सूत्र 122, पृ. 41 / २-आवश्यक नियुक्ति, गाथा 644 / ३-विविध तीर्थकल्प, पृ० 32 / ४-आवश्यक भाष्य, गाथा 131 / ५-आवश्यक नियुक्ति, गाथा 782 / ६-स्थानांग, 101717 / ७-अशोक (गायकवाड लेक्चर्स), पृ० 168, पद-संकेत 1 / -बौद्ध कालीन भारतीय भूगोल, पृ० 456-457 / / ९-बुद्धिस्ट इण्डिया, पृ० 28 / १०-उत्तराध्ययन, 11 / 16 / ११-सुमंगलविलासिनी, भाग 1, पृ० 124 / १२-देखिए-दी एन्शियन्ट ज्योग्राफी ऑफ इण्डिया, पृ० 412, 705 /