Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ ख ड 2, प्रकरण : 3 भौगोलिक परिचय 377 पूजन के लिए आई।' इस घटना से भी काशी पर कोशल का प्रभुत्व प्रमाणित होता है। काशी राज्य का विस्तार 300 योजन बताया गया है। .. . वाराणसी काशी जनपद की राजधानी थी। यह नगर 'बरना' (बरुणा). और 'असी'-इन दो नदियों के बीच में स्थित था / इसलिए इसका नाम 'वाराणसी' पड़ा। यह नरुक्त नाम है। आधुनिक बनारस गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर गंगा और वरुणा के संगम-स्थल पर है। जैन-आगमोक्त दस राजधानियों में इसका उल्लेख है। यूआन् चुआङ्ग ने वाराणसी को देश और नगर-दोनों माना है। उसने वाराणसी देश का विस्तार चार हजार 'ली' और नगर का विस्तार लम्बाई में 18 'ली' और चौड़ाई में 6 'ली' बताया है।" काशी, कोशल आदि 18 गणराज्य वैशाली के नरेश चेटक की ओर से कणिक के विरुद्ध लड़े थे / 6 काशी के नरेश 'शंख' ने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी। इषुकार (उसुयार) नगर ___ जन-ग्रन्थकारों ने इसे कुरु-जनपद का एक नगर माना है। यहाँ 'इषुकार' नाम का राजा राज्य करता था। उत्तराध्ययन में वर्णित इस नगर से सम्बन्धित कथा का उल्लेख बौद्ध-जातक (सं० 506) में मिलता है। वहाँ 'वाराणसी' नगरी का उल्लेख है और राजा का नाम 'एषुकार' है। राजतरंगिणी ( 7 / 1310, 1312 ) में 'हुशकपुर' नगर का उल्लेख हुआ है। आज भी काश्मीर में 'बारामूल' ( सं० बराह, बराहमूल ) से दो मील दक्षिण-पूर्व में बीहट नदी के पूर्वी किनारे पर 'हुशकार' या 'उसकार' नगर विद्यमान है। 'युयेनशान ने काश्मीर की घाटी में, ईस्वी सन् 631 के सितम्बर महीने में पश्चिम १-सुखबोधा, पत्र 174 / २-धजविहेढ़ जातक (सं० 361), जातक, भाग 3, पृ० 454 / ३-दि एन्शिएन्ट ज्योग्राफी ऑफ इण्डिया, पृ० 499 / ४-विविध तीर्थकल्प, पृ० 72 / ५-यूान् चुआङ्गस ट्रेवेल्स इन इण्डिया, भाग 2, पृ० 46-48 / .... ६-निरयावलिका, सूत्र 1 / / ७-स्थानांग, 8 / 621 / ८-उत्तराध्ययन नियुक्ति, गाथा 365 / 48