Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ ___ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन निकाले और सभी एक मण्डली में भोजन करने लगे। बालकों ने देखा कि मुनि के पात्रों में मांस जैसी कोई वस्तु है ही नहीं। साधुओं को सामान्य भोजन करते देख बालकों का भय कम हुआ। बालकों ने सोचा-अहो ! हमने ऐसे साधु अन्यत्र भी कहीं देखे हैं / चिन्तन चला। उन्हें जातिस्मृति-ज्ञान उत्पन्न हुआ। वे नीचे उतरे, मुनियों को वन्दना की और सीधे अपने माता-पिता के पास आ कर बोले--- ___"हमने देखा है कि यह मनुष्य-जीवन अनित्य है, उसमें भी विघ्न बहुत हैं और आयु थोड़ी है / इसलिए घर में हमें कोई आनन्द नहीं है। हम मुनि-चर्या को स्वीकार करने के लिए आपकी अनुमति चाहते हैं।' . उनके पिता ने उन कुमार मुनियों की तपस्या में बाधा उत्पन्न करने वाली बातें कहीं-"पुत्रो ! वेदों को जानने वाले इस प्रकार कहते हैं कि जिनको पुत्र नहीं होता, उनकी गति नहीं होती। ... "पुत्रो ! इसलिए वेदों को पढ़ो। ब्राह्मणों को भोजन कराओ। स्त्रियों के साथ भोग करो। पुत्रों को उत्पन्न करो। उनका विवाह कर, घर का भार सौंप कर फिर अरण्यवासी प्रशस्त मुनि हो जाना।" दोनों कुमारों ने सोच-विचार पूर्वक उस पुरोहित को—जिसका मन और शरीर, आत्म-गुण रूपी इन्धन और मोह रूपी पवन से अत्यन्त प्रज्वलित, शोकाग्नि से संतप्त और परितप्त हो रहा था, जिसका हृदय वियोग की आशंका से अतिशय छिन्न हो रहा था, जो एक-एक कर अपना अभिप्राय अपने पुत्रों को समझा रहा था, उन्हें धन और क्रमप्राप्त काम-भोगों का निमंत्रण दे रहा था—ये वाक्य कहे____ "वेद पढ़ने पर भी वे त्राण नहीं होते / ब्राह्मणों को भोजन कराने पर वे नरक में ले जाते हैं। औरस पुत्र भी त्राण नहीं होते। इसलिए आपने जो कहा, उसका अनुमोदन कौन कर सकता है ? _.. "ये काम-भोग क्षण भर सुख और चिरकाल दुःख देने वाले हैं, बहुत दुःख और थोड़ा सुख देने वाले हैं, संसार-मुक्ति के विरोधी हैं और अनर्थों की खान हैं। ... "जिसे कामनाओं से मुक्ति नहीं मिली, वह पुरुष अतृप्ति की अग्नि से संतप्त हो कर दिन-रात परिभ्रमण करता है। दूसरों के लिए प्रमत्त हो कर धन की खोज में लगा हुआ, वह जरा और मृत्यु को प्राप्त होता है। ___"यह मेरे पास है और यह नहीं है, यह मुझे करना है, और यह नहीं करना हैइस प्रकार वृथा बकवास करते हुए पुरुष को उठाने वाला (काल) उठा लेता है। इस स्थिति में प्रमाद कैसे किया जाए ? .., "जिसके लिए लोग तप किया करते हैं, वह सब कुछ-प्रचुर धन, स्त्रियाँ, स्वजन