Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन पद्मावती था / वह गणतन्त्र के अधिनेता महाराज चेटक की पुत्री थी। एक बार रानी गर्भवती हुई। उसे दोहद उत्पन्न हुआ। परन्तु वह उसे व्यक्त करने में लज्जा का अनुभव करती रही। शरीर सूख गया। राजा ने बात पूछी। आग्रह किया / तब रानी ने अपने मन की बात कह दी। रानी राजा का वेष धारण कर हाथी पर बैठी। राजा स्वयं उसके मस्तक पर छत्र लगा कर खड़ा था। रानी का दोहद पूरा हुआ। वर्षा आने लगी। हाथी वन की ओर भागा। राजा-रानी घबडाए। राजा ने रानी से वटवृक्ष की शाखा पकड़ने के लिए कहा। हाथी उस वट-वृक्ष के नीचे से निकला। राजा ने एक डाल पकड़ ली। रानी डाल नहीं पकड़ सकी। हाथी रानी को ले आगे भाग गया। राजा अकेला रह गया। रानी के वियोग से वह अत्यन्त दुःखी हो गया। __ हाथी थककर निर्जन वन में जा ठहरा / उसे एक तालाब दिखा। वह प्यास बुझाने के लिए पानी में घुसा। रानी अवसर देख नीचे उतरी और तालाब से बाहर आ गई। वह दिग्मूढ हो इधर-उधर देखने लगी। भयाक्रान्त हो वह एक दिशा की ओर चल पड़ी। उसने एक तापस देखा / उसके निकट जा प्रणाम किया। तापस ने उसका परिचय पूछा। रानी ने सब बता दिया। तापस ने कहा-"मैं भी महाराज चेटक का सगोत्री हूँ। अब भयभीत होने की कोई बात नहीं।" उसने रानी को आश्वत कर, फल भेंट किए। रानी ने फल खाए / दोनों वहाँ से चले। कुछ दूर जाकर तापस ने गाँव दिखाते हुए कहा-"मैं इस हल-कृष्ट भूमि पर चल नहीं सकता। वह दंतपुर नगर दीख रहा है। वहाँ दंतवक्र राजा है। तुम निर्भय हो वहाँ चली जाओ और अच्छा साथ देखकर चम्पापुरी चला जाना।" रानी पद्मावती दंतपुर पहुंची। वहाँ उसने एक. उपाश्रय में साध्वियों को देखा। उनके पास जा वन्दना की। सध्वियों ने परिचय पूछा। उसने सारा हाल कह सुनाया, पर गर्भ की बात गुप्त रख ली। साध्वियों की बात सुन रानी को वैराग्य हुआ। उसने दीक्षा ले ली। गर्भ वृद्धिंगत हुआ। महत्तरिका ने यह देख रानी से पूछा। साध्वी रानी ने सच-सच बात बता दी। महत्तरिका ने यह बात गुप्त रखी। काल बीता / गर्भ के दिन पूरे हुए। रानी ने शय्यातर के घर जा प्रसव किया। उस नवजात शिशु को रत्नकम्बल में लपेटा और अपनी नामांकित मुद्रा उसे पहना श्मशान में छोड़ दिया। श्मशानपाल ने उसे उठाया और अपनी स्त्री को दे दिया। उसने उसका नाम 'अवकीर्णक' रखा। साध्वी-रानी ने श्मशानपाल की पत्नी से मित्रता की। रानी जब उपाश्रय में पहुंची तब साध्वियों ने गर्भ के विषय में पूछा / उसने कहा-मृत पुत्र हुआ था। मैंने उसे फेंक दिया।