Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ खण्ड 2, प्रकरण : ? कथानक संक्रमण 357 रचना से पूर्ववर्ती है / पर यह सम्भव नहीं है। इस असम्भवता के दो हेतु हैं (1) वाचना-काल में सारे साहित्य का निर्माण नहीं हुआ था, किन्तु उसका संकलन किया गया था, थोड़ा-बहुत निर्मित भी हुआ था। प्रस्तुत कथानक पहले नहीं लिखे गए थे, यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता। (2) प्रतियों की दुर्लभता। उस समय का वातावरण पारस्परिक तनाव का था। वैसी स्थिति में अपने साहित्य की प्रतियाँ दूसरों को देते, इसकी कल्पना करना कठिन है। बहुत सम्भव यही है कि पूर्ववर्ती श्रमण-साहित्य में प्रचलित कथानकों को जातक, उत्तराध्ययन और महाभारत में अपने ढंग से उद्धृत किया गया है। इनकी शब्दावली में प्राप्त परिवर्तन से यह तथ्य स्पष्ट परिलक्षित होता है।