Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
View full book text
________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन जिनकी आत्मा पूर्व-जन्म में कुशल-भावना से भावित थी, वे सब-राजा, रान ; ब्राह्मण पुरोहित, ब्राह्मणी और दोनों पुरोहित कुमार अर्हत् के शासन में आ कर दुःख का अंत पा गए—मुक्त हो गए। -उत्तराध्ययन, 14 / 7-53 / हत्थिपाल जातक पूर्व समय में वाराणसी में एसुकारी नाम का राजा था। उसका पुरोहित बचपन से उसका प्रिय सहायक था। वे दोनों अपुत्रक थे। एक दिन उन्होंने सुखपूर्वक बैठे हुए विचार किया, हमारे पास ऐश्वर्य बहुत है, पुत्र अथवा पुत्री नहीं है, क्या किया जाय ? तब राजा ने पुरोहित से कहा- "यदि तुम्हारे घर में पुत्र उत्पन्न होगा, तो मेरे राज्य का स्वामी होगा, यदि मेरे घर में पुत्र पैदा होगा तो तुम्हारे घर की सम्पत्ति का मालिक होगा।" इस प्रकार वे दोनों परस्पर वचन-बद्ध हुए। एक दिन पुरोहित अपनी जमींदारी के गाँव में गया। वापस लौटने पर जब वह दक्षिणद्वार से नगर में प्रवेश कर रहा था तो उसने नगर के बाहर अनेक पुत्रों वाली एक दरिद्र स्त्री को देखा। उसके सात पुत्र थे। सभी निरोघ / एक के हाथ में पकाने की हाँडी थी। एक के हाथ में चटाई। एक आगे-आगे चल रहा था। एक पीछे-पीछे। एक ने अंगुली पकड़ रखी थी। एक गोद में था। एक कन्धे पर बैठा था। उससे पुरोहित ने पूछा- "भद्रे ! इन बच्चों का पिता कहाँ हैं ?' "स्वामी ! इनका कोई एक ही निश्चित पिता नहीं है।" "इस प्रकार के सात पुत्र क्या करने से मिले ?" उसे जब कोई अन्य आधार न दिखाई दिया तो उसने नगर-द्वार स्थित निग्रोध-वृक्ष की ओर संकेत करके कहा- "स्वामी ! इस निग्रोध-वृक्ष पर रहने वाले देवता से प्रार्थना करने से मिले, इसी ने मुझे पुत्र दिए।" पुरोहित ने उसे तो 'तू जा' कह कर विदा किया। तब वह स्वयं रथ से उतर, निग्रोध-वृक्ष के नीचे पहुंचा। उसकी शाखा पकड़ कर हिलाई और बोला- "हे देवपुत्र ! तुझे राजा से क्या नहीं मिलता। राजा प्रति वर्ष हजार (मुद्राओं) का त्याग कर बलि देता है। तू उसे पुत्र नहीं देता। इस दरिद्र स्त्री ने तेरा क्या उपकार किया है कि उसे सात पुत्र दिए हैं। यदि हमारे राजा को पुत्र नहीं देगा, तो आज से सात दिन तुझे जड़ से उखड़वा कर टुकड़े-टुकड़े कर दूँगा।" इस प्रकार वह वृक्ष-देवता को धमका कर चला गया। उसने इसी प्रकार अगले दिन और फिर अगले दिन लगातार छः दिनों तक धमकी दी। छठे दिन शाखा को पकड़ कर बोला-'हे वृक्ष-देवता! अब आज केवल एक रात शेष रह गई है। यदि मेरे राजा को पुत्र नहीं देगा तो कल तुझे समाप्त कर दूंगा।" वृक्ष-देवता ने विचार कर इस बात की गहराई को