Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ खण्ड 2. प्रकरण :1 कथानक संक्रमण 257 'कथावस्तु' नामक ग्रन्थ की रचना की। इस परिषद् की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि बौद्ध-धर्म के व्यापक प्रचार के लिए अनेक प्रचारक संसार के विभिन्न भागों में भेजे गए / यहीं से बौद्ध-धर्म का विदेशों में प्रचार का इतिवृत्त प्रारम्भ हुआ। (4) चौथी परिषद् लंका के राजा वट्टगामणि अभय (ई० पू० 26-17) के समय में हुई। अशोक के समय में महेन्द्र तथा अन्य भिक्षु जिस त्रिपिटक को लंका ले गए थे, उसे ताड़पत्रों पर लेख-बद्ध किया गया / महाभारत का रचना-काल महर्षि व्यास ने अठारह पुराणों की रचना के पश्चात् 'भारत' की रचना की। स्वयं व्यास ने भी इसका उल्लेख किया है। 3 __पारजीटर ने पुराण-काल की मीमांसा करते हुए उसको ईसा पूर्व हवीं शताब्दी से ईसवी सन् की चौथी शताब्दी तक माना है।" यह माना जाता है कि महाभारत-युद्ध ई० पू० 3101 में हुआ था और उसके लगभग एक शताब्दी बाद ही 'भारत' की रचना हो गयी थी। जायसवाल ने महाभारतयुद्ध को ई० पू० 1424 में तथा पारजीटर ने ई० पू० 650 में माना है। मूल 'भारत' में चौबीस हजार श्लोक थे। पाश्चात्य विद्वान् हॉपकिन्स', विन्टरनिट्ज , मेकडोनल१०, विन्सेन्टस्मिथ'', मोनियर १-भरतसिंह उपाध्याय : पालि साहित्य का इतिहास, पृ० 86-100 / २-मत्स्यपुराण, 53170 : अष्टादशपुराणानि, कृत्वा सत्यवतीसुतः / भारताख्यानमखिलं, चक्रे तदुपबृहितम् // ३-महाभारत, आदिपर्व, 1154-64 / 4. Ancient Indian Historical Tradition, p. 334. ५-चिन्तामणि विनायक वैद्य : महाभारत मीमांसा, पृ० 140,152 / ६-देखिए-Ancient Indian Htstorical Tradition, p. 182 तथा Foot note No. 3. ७-महाभारत, आदिपर्व, 13102 : चतुर्विशतिसाहतीं, चक्रे भारतसंहिताम् / उपाख्यानविना तावद्, भारतं प्रोच्यते बुधैः // 8. Cambridge History of India, Vol. 1, p. 258. EUR. History of Indian literature, Vol. 1, p. 465. 20. Sanskrit literature, p. 285-87. 11. Oxford History of India, p. 33.