Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ गाथा खण्ड : 2, प्रकरण :1 कथानक संक्रमण 281 मण्डव्य के साथियों द्वारा मातङ्ग का पीटा जाना। नगर-देवताओं द्वारा ब्राह्मणों की दुर्दशा करना / सेठ की कन्या दिट्ठमङ्गलिका का आना, वहाँ की अवस्था को देख कर स्थिति को जान लेना। सोने का कलश और प्याला ले मातङ्ग मुनि के पास जाना—क्षमा-याचना करना। मातङ्ग पण्डित द्वारा ब्राह्मणों के ठीक होने का उपाय करना और दिट्ठमङ्गलिका का सभी ब्राह्मणों को दान-क्षेत्र की यथार्थता बताना / समान गाथाएँ उत्तराध्ययन, अध्ययन 12 मातङ्ग जातक (संख्या 497) श्लोक कयरे आगच्छइ दित्तत्वे काले 'विगराले फोकनासे। ओमचेलए पंसुपिसायभूए संकरदूसं परिहरिय कण्ठे // 6 // कयरे तुमं. इय अदंसणिज्जे काए व आसाइ हमागओ सि / ओमचेलगा पंसुपिसायभूया गच्छ क्खलाहि किमिहं ठिओसि ? // 7 // 1 (पृ० 272 पर उद्धृत) समणो अहं संजओ बम्भयारी विरओ धणपयणपरिग्गहाओ। परप्पवित्तस्स उ भिक्खकाले अन्नस्स अट्ठा इहमागओ मि // 9 // वियरिजइ खजइ भुजई य अन्नं पभूयं भवयाणमेयं / जाणाहि मे जायणजीविणु त्ति सेसावसेसं लभऊ तवस्सी // 10 // 2 (पृ० 272 ,, ,) उवक्खडंभोयण माहणाणं अत्तद्वियं सिद्ध मिहेगपक्खं / न ऊ वयं एरिसमन्नपाणं बाहामु तुझ किमिहं ठिओ सि ? // 11 // 3 (पृ. 273 , ,)