Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 232 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययनं . ... (1) कृष्ण (काली), (2) नील (नीली वा नितशिलोत्पन्न), (3) लोहित (लेट राइट वा लाल), (4) हारिद्र (पीली), (5) शुक्ल (श्वेत), (6) पाण्डु (धूमिल, भूरी); तथा (7) पनकमृतिका (नद्य प, पंक, किट्ट तथा चिकनी दोमट)। यहाँ ये भेद अत्यन्त वैज्ञानिक हैं / ' प्रज्ञापना में भी मृदु पृथ्वी के ये सात प्रकार प्राप्त हैं। कठिन पृथ्वी-भूतल-विन्यास (टरेन) और करंबोपलों (ओरिस) को छत्तीस भागों में विभक्त किया गया है(१) शुद्ध पृथ्वी (19) अंजन ... (2) शर्करा ... (20) प्रवालक-मुंगे के समान रंग वाला . . (3) बालुका- बलुई (21) अभ्रब लुका-अभ्रक की बालु (4) उपल-कई प्रकार की (22) अभ्राटल-अश्रक . शिलाएं और करंबोपल (23) गोमेदक-वैडूर्य की एक जाति (5) शिला (24) रुचक-मणि की एक जाति (6) लवण (25) अंक-मणि की एक जाति (7) ऊप-नौती मिट्टी .. (26) स्फटिक . (8) अयस्-लोहा (2 ) मरकत-पन्ना (8) ताम्र-ताँबा (28) भुजमोचक - मणि की एक जाति (10) पु-जस्त. (26) इन्द्रनील-नीलम (11) सोसक-सीसा (30) चन्दन-मणि की एक जाति (12) रूप्य-चाँदी (31) पुलक-मणि की एक जाति (13) सुवर्ण-सोना (32) सौगन्धिक-माणक की एक जाति (14) वज्र-हीरा (33) चन्द्रप्रभ–मणि की एक जाति (15) हरिताल .... (34) वैडूर्य (16) हिंगुलक (35) जलकान्त-मणि की एक जाति (17) मनःशीला--मैनसिल . (36) सूर्यकान्त-मणि की एक जाति (18) सस्यक-रल की एक जाति वृत्तिकार के अनुसार लोहिताक्ष और मसारगल्ल क्रमश: स्फटिक और मरक्त तथा गेरुक और हंसगर्भ के उपद हैं / वृत्तिकार ने शुद्ध पृथ्वी से लेकर वन तक के चौदह १-उत्तराध्ययन, 3672 / २--कौटलीय अर्थशास्त्र, 11 / 36 / ३-बृहद् वृत्ति, पत्र 689 /