Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 167 खण्ड 1, प्रकरण : 7 २-योग (6) शैक्ष का वैयावृत्त्य / (7) कुल का वैयावृत्त्य / (5) गण का वैयावृत्त्य / (6) संघ का वैयावृत्त्य / (10) साधर्मिक (समान धर्म वाले साध-साध्वी) का वैयावृत्त्य / यह वर्गीकरण स्थानांग (10 / 712) के आधार पर है। भगवती (25 / 7 / 802) और औपपातिक (सूत्र 20) के वर्गीकरण का क्रम कुछ भिन्न हैं(१) आचार्य का वैयावृत्त्य (6) स्थविर का वैयावृत्त्य (2) उपाध्याय का वैयावृत्त्य (7) साधर्मिक का वयावृत्त्य (3) शंक्ष का वयावृत्त्य (8) कुल का वैयावृत्त्य (4) ग्लान का वैयावृत्त्य (9) गण का वैयावृत्त्य (5) तपस्वी का वैयावृत्त्य (10) संघ का वैयावृत्त्य तत्त्वार्थ सूत्र (6 / 24) में ये कुछ परिवर्तन के साथ मिलते हैं (1) आचार्य का वैयावृत्त्य (2) उपाध्याय का वैयावृत्त्य (3) तपस्की का वैयावृत्त्य (4) शैक्ष का वैयावृत्त्य (5) ग्लान का वैयावृत्त्य (6) गण (श्रुत स्थविरों की परम्परा का संस्थान') का वैयावृत्त्य / (7) कुल का वैयावृत्त्य ( एक आचार्य का साधु-समुदाय * 'गच्छ' कहलाता है ; एक जातीय अनेक गच्छों को कुल कहा जाता है)। (8) संघ (साधु, साध्वी, श्रावक तथा श्राविका) का वैयावृत्त्य / १-तत्त्वार्थ, 9 / 24 भाज्यानुसारि टीका : गणः--स्थविरसंततिसंस्थितिः। स्थविरग्रहणेन श्रुतस्थविरपरिग्रहः, न वयसा पर्यायेण वा, तेषां संततिः-परम्परा तस्याः संस्थानं–वर्तनं अद्यापि भवनं संस्थितिः। २-वही, 9 / 24 भाण्यानुसारि टीका : कुलमाचार्यसततिसंस्थितिः एकाचार्यप्रणेयसाधुसमूहो गच्छः, बहूनां गच्छानां एकजातीयानां समूहः कुलम् / ३-वही, 9 / 24 भाष्यानुसारि टीका: संघश्चतुर्विधः-साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविकाः।