Book Title: Sammedshikhar Mahatmya
Author(s): Devdatt Yativar, Dharmchand Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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द्वितीया
जल्दी ही अपने मन में बारह भावनाओं का चिन्तयन कर बड़े बेटे धृतिषेण को राज्य देकर तपश्चरण अङ्गीकार कर
लिया। समुत्साहव वनं गत्या यशोधरसमीपतः । दीक्षां गृहीत्वा केशानां लुञ्चनं पञ्चमुष्टिभिः ।।१६।। कृत्या पञ्च महाध्यानि व्रतानि समितीस्तदा । पञ्च वाथ त्रिगुप्तीश्च प्रमोवास धारयः | तपः कृत्यायुषश्यान्ते सन्यासं प्राप्य चोत्तमम् ।
देवोऽभूत्षोडशे कल्पे नामतोऽयं महायल: ।।२१।। अन्ययार्थ · अथ = इसके बाद, समुत्साह्य = सम्यक् प्रयत्न करके. (असौ
= राजा), वनं = जङ्गल, गत्वा = जाकर, यशोधरसमीपतः = यशोधर मुनिराज के पास. दीक्षा = मुनिदशा की दीक्षा को, गृहीत्वा = लेकर, पञ्चमुष्टिभिः = पांच मुष्टियों से, केशानां = बालों का. लुञ्चनं = लुञ्चन, कृत्वा = करके, पञ्च = पाँच, महाध्यानिव्रतानि = प्रमुख पूर्ण महाव्रतों को, पंच = पांच, समितीः = समितियों को, च = और त्रिगुप्ती: = तीन गुप्तियों को, प्रमोदात् = प्रमोद-प्रसन्न भाव से, अधारयत् = धारण किया, वा = और, अयं = इन्होंने. तपः = तपश्चरण, कृत्वा = करके, आयुषः = आयु के, अन्ते = अंतिम समय में, उत्तम = उत्तम, सन्यासं = सन्यासमरण को, प्राप्य = प्राप्त कर, षोडश = सोलहवें, कल्पे = स्वर्ग में, नामतः = नाम
से, महाबलः = महाबल, देवः = देव, अभूत = हुआ। श्लोकार्थ - बड़े पुत्र को राज्य देकर उस राजा ने, सम्यक् प्रयत्न पूर्वक
वन में जाकर यशोधर मुनिराज के पास मुनिदीक्षा लेकर, पांच मुष्टियों से केश लोंच करके पूर्णता प्राप्त कराने वाले अहिंसादि प्रमुख पंच महाव्रतों को पांच समितियों को और तीन गुप्तियों को अङ्गीकार किया अर्थात् उनके पालन करने में लग गया तथा आयु पूर्ण होने के समय उत्तम संन्यास मरण को प्राप्तकर सोलहवें स्वर्ग में महाबल नामक देव हो गया।