Book Title: Sammedshikhar Mahatmya
Author(s): Devdatt Yativar, Dharmchand Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्लोकार्थ
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श्री सम्मेदशिखर माहात्म्य सच्ची भक्ति करने वालों को मुक्तिप्रद, वीरसंकुलं वीरसंकुल नामक कूट कूट को किल= दृढ़ता से, नमामि मैं नमस्कार करता हूं।
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जिस कूट से तीर्थंकर श्री विमलनाथ प्रभु मोक्ष को गये तथा उनका अनुसरण कर बहुत सारे भव्य जीव मुनिजन मोक्ष को प्राप्त हुये तो जो नियम से अर्चना करने से सदभक्तों को मुक्ति देने वाली है उस वीर संकुल नामक कूट को मैं नमस्कार करता हूं ।
[ इति श्रीदीक्षितब्रह्मनेमिदत्तविरचिते सम्मेद शिखरमाहात्म्ये तीर्थङ्करविभलनाथवृतान्तसमन्वितं वीरसंकुलकूटवर्णनं नाम द्वादशमोऽध्यायः समाप्तः । }
[ इस प्रकार श्री दीक्षित ब्रह्मनेमिदत्त द्वारा लिखित सम्मेदशिखर माहात्म्य नामक काव्य में तीर्थकर विमलनाथ के वृतान्त से पूर्ण वीरसंकुल नामक कूट का वर्णन करने वाला बारहवां अध्याय समाप्त हुआ | }