Book Title: Pushkarmuni Abhinandan Granth
Author(s): Devendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
Publisher: Rajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चन
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अभिनन्दन
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आर्या चन्द्रावती, जैन-सिद्धान्ताचार्या [बा० ब्र० महासती श्री पुष्पावती जी साहित्यरत्न की सुशिष्या]
भारत भूतल पर चमका है, अभिनव एक सितारा।
पावन पुष्कर योगीश्वर का, है अभिनन्दन प्यारा ।। पूर्व जन्म के पुण्य-पुञ्ज का सुफल सामने आया । ज्योतिर्मय उन योगिराज के दर्शन उनने पाया ।। यत्र तत्र सर्वत्र जगत में जिनका यश विस्तारा। पावन पुष्कर योगीश्वर का, है अभिनन्दन प्यारा ॥
उज्ज्वल हैं क्या इनसे बढ़कर, सूर्य, चन्द्र या तारे ? पाकर धन्य हुई वाली मा, या जगवासी सारे ।। ध्येय मिला "तारक" गुरुवर से ध्यान धर्म का धारे। याम है पावन, धाम है पावन, काम हैं पावन प्यारे॥ यष्टा है अध्यात्म-यज्ञ के, ब्राह्मण वंश दुलारा ।
पावन पुष्कर योगीश्वर का, है अभिनन्दन प्यारा॥ राज्य रंग नश्वर तज पल में, अलख अरग जगाया। जरा मृत्यु से ग्रस्त तनु से, अजर अमर को पाया । स्थान सिद्धि का शासन शाश्वत, पाने सौख्य निराला । नन्दन सूरजमल जी का है, सूर्य रश्मि उजियाला ॥ केवल कमला की वरमाला, पाते पौरुषवाले । सज्जन जन के हृदय कमल को विकसित करनेवाले ॥ रीति निराली, प्रीति निराली, गीति-मधुर इकतारा । पावन पुष्कर योगीश्वर का, है अभिनन्दन प्यारा ।।
श्रीश सुने पर देखो ये हैं, रत्न-त्रय के धारक । पुण्य-धाम हैं, मुक्तकाम हैं, तीरथ पाप-निवारक ।। षट् काया के हैं प्रतिपालक, पञ्च महाव्रत धारक । कर्म रेख के एक सुधारक धर्म-मर्म के पारक । रजन करते जन-जन मन, ज्ञानाञ्जन नयन लगाये । मुखिया हैं जो मुनि जन मन के, सञ्चालक कहलाये ।। नित्य धैर्य के महागुणी हैं, सुमति-सुगति को लाये। जीवन उनका युग-युग के प्रति दर्पण-सा है सारा । पावन पुष्कर योगीश्वर का, है अभिनन्दन प्यारा॥
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