Book Title: Pushkarmuni Abhinandan Granth
Author(s): Devendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
Publisher: Rajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ
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८३. पंडित का भूषण है-विनम्रता और मूर्ख का भूषण है-मौन । ८४. पहले सोचकर पीछे काम करने वाला-चतुर है।
काम करके पीछे सोच कर पछताने वाला-मूर्ख है।
और जो पछताने का काम करके भी कभी नहीं सोचे-वह महामूर्ख है।। ८५. पराजय से निराश हो जाना—कायरता है।
पराजय के कारणों पर विचार करना-समझदारी है। पराजय के कारणों पर विचार कर उन्हे छोड़ना और पुनः विजय के लिए सन्नद्ध होनासाहसिकता है।
पराजय के बाद विजय पाकर उन्मत्त बनना-विवेकशीलता है। ८६. जिस भाषा में लेखन व उच्चारण की समरूपता और अभिव्यक्ति की सहजता नहीं, वह चाहे
जितनी प्रचलित क्यों न हो, श्रेष्ठ भाषा नहीं कहला सकती। ८७. सत्य के लिए संघर्ष करना एक बात है, किन्तु सत्य के लिए समर्पित हो जाना कुछ और ही
बात है। ८८. इतिहास पढ़ने का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि बिना संकट और कष्ट उठाये ही हमें हजारों
प्रकार के कड़वे-मीठे अनुभव मिल जाते हैं। ८९. लाखों वर्ष के जीवन में जितने अनुभव नहीं हो पाते उतने अनुभव इतिहास और पुराने चरित्र
ग्रन्थ पढ़ने से मिल जाते हैं। ९०. अतीत के अनुभव लेकर वर्तमान में जीओ और भविष्य की सुनहली कल्पना से मन को दुलराओ! ६१. अतीत की चिंता भले ही मत करो, पर अतीत पर चिंतन अवश्य करो। ९२. जैन संस्कृति मनुष्य को दण्डित करने में नहीं, सुसंस्कृत करने में विश्वास करती है। इसीलिए
दण्ड की जगह प्रायश्चित्त और प्रतिक्रमण का विधान है। ९३. अपराध के प्रति सच्ची घणा होना ही प्रायश्चित्त है। ६४. श्रमण संस्कृति का उद्घोष है-सुख देने मे है, लेने में नहीं। आनन्द त्याग में है, भोग में नहीं। ६५. उलटा घड़ा वर्षों तक जलधारा में पड़े रहने पर भी नहीं भरेगा। उलटे घड़े के तुल्य श्रोता भी
जीवन भर उपदेश सुनकर कोरे के कोरे ही रह जाते हैं। १६. काजल काला होकर भी अपने गुण के कारण आंख में स्थान पाता है। मनुष्य भी अगर गुणी है
तो कैसा भी रूप क्यों न हो वह समाज में उच्चस्थान प्राप्त कर ही लेता है। ६७. कार के लम्बे सफर में पेट्रोल टायर आदि का संग्रह सुरक्षित रखा जाता है वैसे ही जीवन के
लम्बे सफर में शक्ति का संग्रह करो। ब्रह्मचर्य आदि साधना द्वारा शक्ति का संरक्षण करो। मायक्रोस्कोप (Microscope) अत्यन्त लघुकणों को भी बड़ा करके दिखाता है ओर कैमरा बड़ी बड़ी छवियों को भी लघु आकार में अंकित कर लेता है। इसी प्रकार सज्जन दूसरों के लघु गुणों
को भी विराट रूप दे देते हैं और अपने विराट गुणों को भी लघुतम रूप में प्रकट करते हैं। ६६. हारना उतना बुरा नहीं है, जितना हार कर पुन: नहीं उठने की वृत्ति । हार को विजय का प्रथम
द्वार समझ कर चलो, विजय निश्चित मिलेगी। जीवन के हारमोनियम से शान्ति की सुरीली आवाज वही निकाल सकता है, जो इसे बजाने की कला जानता है।
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