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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 122 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
आप कहो, आचार्यश्री के पास भक्ति के लिए चलो, तो आचार्यश्री के चरणों में मेरी भक्ति आज भी है, आगे भी रहेगी वह भी हमारे गुरु हैं, क्योंकि निग्रंथ हैं यह ध्यान रखना, ऐसी बातें कभी मत करनां ऐसे लोग संसार में बहुत मिलेंगे और वे ही बाद में आयेंगे और तुम्हें नमोस्तु/इच्छामि नहीं करेंगें बोलेंगे हम जानते हैं तुम्हें, एक गुरु को छोड़कर दूसरे को गुरु बनाया हैं
भो ज्ञानी आत्माओ! दुनियाँ के कहने पर नहीं आना, जिनवाणी में जो लिखा है उसे जानकर स्वयं विवेक से काम करनां यह स्थितिकरण दूसरे के करने के पहले स्वयं का भी करना, भटकानेवाले तो अनन्त मिलेंगे, पर संभालनेवाले बहुत कम मिलेंगें इसीलिए, काम, क्रोध, मानादि कम करो ? स्वयं के लिए तथा पर के लिये युक्तिपूर्वक स्थितिकरण भी करना चाहियें
नभऋषभदेव कासन, गुडगाँव (निकट दिल्ली) में भूगर्भ से प्राप्त
भगवान ऋषभ देव की प्रतिमा
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