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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमृत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज
Page 318 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002 प्रकार से जीव जब काम-सेवन करता है, तो योनी-स्थान में करोड़ों पंचेन्द्रिय सैनी जीव चटपट-चटपट नष्ट हो, मर जाते हैं आप सोचो कि एक व्यक्ति के मरने पर बारह दिन का सूतक है, तेरहवें दिन शुद्धि होती है, तो जिसने नौकोटि जीवों को मारा, उनकी कितने दिन में शुद्धि होगी? भो चैतन्य! आचार्य भगवान् कह रहे हैं कि काम-सेवन वासना के राग की अति तीव्रता है, तभी तो ऐसा दुष्कर्म हैं इसलिए हिंसा ही हैं अरे! आत्मरंजन के लिए यह पर्याय मिली है, मनोरंजन के लिए नहीं आत्मा का भोग एकमात्र मनुष्य-पर्याय, निग्रंथ-मुद्रा में ही संभव हैं आगम कह रहा है कि स्वदार-संतोष-व्रत धारण करके कम से कम अन्य स्त्रियों के सेवन से तो बच जाओं
मनीषियो! आज शांतिनाथस्वामी के चरणों में अपनी-अपनी इच्छा कर लेना-प्रभु! मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ कि आज से स्वदार-संतोष-व्रत का पालन करूँगां
जम्बूद्वीप
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