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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज
Page 466 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002 गयां इस अंतिम दशा का स्वयं बोध हो जाता हैं अतः, आचार्य अमृतचन्द्र स्वामी इस कारिका में उल्लेख कर रहे हैं कि सल्लेखना आत्मघात नहीं, आत्म-साधना हैं जल में कूद कर मर जाना, विष खाना, सती हो जाना, यह आत्मघात हैं जबरदस्ती किया जाता हैं लेकिन सल्लेखना जबरदस्ती नहीं हैं विष के द्वारा, शस्त्र-अस्त्र के द्वारा प्राणों का वियोग नियम से आत्मवध है, लेकिन सल्लेखना आत्मवध नहीं हैं साम्य-परिणामों से जो संयम के साथ अंतिम विदा है, उसका नाम सल्लेखना हैं
यूरोप, इंग्लॅण्ड, लेसेस्टर स्थित श्री जिन मंदिर
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