Book Title: Purusharth Siddhi Upay
Author(s): Amrutchandracharya, Vishuddhsagar
Publisher: Vishuddhsagar

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Page 511
________________ पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमृत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 511 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002 महावीर स्वामी ने बारह वर्ष तप किया, लेकिन उन्होंने तपस्वी बनने के लिए तप नहीं किया, अपितु परमात्मा बनने के लिए किया था, क्योंकि तपस्या किये बिना परमात्मा बन नहीं सकते थे भो ज्ञानी आत्माओ! आचार्य कुंदकुंद स्वामी ने 'समयसार' जी में बड़ा सुंदर उदाहरण दिया है पक्के फलम्मि पडिदे जह ण फलं बज्झदे पुणो विंटें जीवस्स कम्मभावे पडिदे ण पुणोदयमुवेहिं 175 वृक्ष से पका फल जब जमीन पर गिरता है तो पुनः वृक्ष पर नहीं लगता हैं तुम्हारा यह आयुकर्म पक गया है, अतः पुनः यह आयु तुम्हें मिलने वाली नहीं हैं वह कर्म तो पक कर झर गया, वे कर्म-वर्गणाएँ पुनः आत्मा में लगने वाली नहीं हैं ऐसे ही तपस्या के द्वारा जब तपस्वी कर्मों को पका डालता है, खिरा देता है, तो फिर वे परमेश्वर ही बन जाते हैं इसलिए तपस्या करो, परंतु ध्यान रखना यदि दुकान पर रात्रि हो गयी तो एक बार ही खा पाये, वह तपस्या नहीं कहलायेगी तपस्या तब कहलायेगी, जब आप मन में विचार कर लेंगे कि आज तपस्या करना है कि एक ही बार भोजन करेंगे तो तपस्या है, क्योंकि हमारे आगम में आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने लिखा है कि जो बुद्धि पूर्वक स्वीकार किया जाता है, उसका नाम ही व्रत है, तपस्या हैं संकल्प के अभाव में तपस्या नहीं कहलाती हैं नहीं मिला तो संतोष है, लेकिन संकल्पपूर्वक की गयी ही तपश्या मानी गई हैं भो भव्यात्माओ! नियम और व्रत में बहुत अंतर हैं जो भी व्रत होगा, नियम से होगा; पर व्रत होना नियम नहीं हैं अष्टमी थी और अचानक कोई ऐसी व्यवस्था फँस गई कि दिनभर भोजन नहीं कियां हमने यह सोच लिया कि आज अष्टमी है, आज नहीं मिलेगा तो काम चलेगां तुम्हारे संतोष के लिए धन्यवाद, लेकिन उपवास नहीं कहलाता, तपस्या नहीं कहलायेगी जब देख लिया था कि आज तो भोजन प्राप्ति की संभावना नहीं है, तो कायोत्सर्ग कर लेना था, क्योंकि कायोत्सर्ग के अभाव में व्रत नहीं बनतें भो ज्ञानी! बहुतेरे दिन ऐसे निकल जाते हैं कि भोजन नहीं मिलता और आपका तपस्या में भी नाम नहीं आता हैं ऐसे समय में कायोत्सर्ग करने से लाभ यह होगा कि रात्रि भोजन का चक्र बंद हो जायेगां कई लोग बहिरंग तपों में ध्यान न देकर शाम को एक बार स्वाध्याय कर लेते हैं वे सोचते हैं कि तपस्या हो गई Visit us at http://www.vishuddhasagar.com Copy and All rights reserved by www.vishuddhasagar.com For more info please contact : akshayakumar_jain@yahoo.com or pkjainwater@yahoo.com

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