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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमृत चंद्र स्वामी
पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 555 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 v- 2010:002
'बंध के हेतु कषाय और योग'
योगात्प्रदेशबन्धः स्थितिबन्धो भवति तु कषायां दर्शनबोधचरित्रं न योगरूपं कषायरूपं चं215
अन्वयार्थ :
प्रदेशबन्धः= प्रदेशबन्ध (योग से होने वाले बन्ध का प्रचार ) योगात् तु = मन, वचन, काय के व्यापार से तथा स्थितिबन्धः = स्थिति बन्ध (कषायों से होनेवाला बन्ध) कषायात् = क्रोधादिक कषायों सें भवति होता हैं सम्यग्दर्शन, सम्यक्ज्ञान, सम्यक्चारित्ररूप रत्नत्रयं न योगरूपं =न तो योगरूप हैं च
दर्शनबोधचरित्रं कषायरूपं
और न कषायरूप ही हैं
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आचार्य भगवन् अमृतचन्द्र स्वामी ने ग्रंथराज 'पुरुषार्थ सिद्धयुपाय" में अलौकिक सूत्र प्रदान किये हैं यह जीव एक बार मनुष्य भाव को प्राप्त कर लेता है तो अनंत बार मनुष्य वेश को प्राप्त नहीं करतां जो मानवता से भरा है, चारित्र से भरा है, श्रद्धा से भरा है, ज्ञान से भरा है, उसका नाम मुनष्य हैं एकांत से दर्शन मोक्ष नहीं, एकांत से ज्ञान मोक्ष नहीं, एकांत से चारित्र मोक्ष नहीं तीनों की एकता का नाम मोक्षमार्ग हैं बहुत निर्मल दृष्टि करके समझना हैं जिस दिन अनेकांत समझ में आ गया, उस दिन रत्नत्रय शब्द भी नहीं कहना पड़ेगा एकांत की श्रद्धा का नाम मिथ्यादर्शन है, एकांत का ज्ञान मिथ्याज्ञान है, एकांत का चारित्र मिथ्याचारित्र हैं जहाँ श्रद्धा है, वहाँ विश्वासं जहाँ श्रद्धा समाप्त हो जाती है, वहाँ विश्वास पलायन कर जाता हैं वर्द्धमान महावीर स्वामी से पूछ लेना आपको विश्व पर विश्वास हो या न हो, लेकिन विश्व को आप पर विश्वास है; क्योंकि आपने विश्वविजय नहीं की, आपने तो निज की आत्मा पर विजय प्राप्त की हैं अहो! विश्वास का पात्र विश्वविजयी नहीं बन पाता, विश्वास का पात्र आत्मजयी ही बनता हैं
भो ज्ञानी! राम ने बँटवारा नहीं माँगा, उन्होंने तो बड़े हिसाब से काम कियां यदि हिस्सा माँग लेते, तो राम अवधपुरी के किसी कोने मात्र के राजा होते, क्योंकि बँटवारे में तो कोना ही मिलता हैं एक कोना लक्ष्मण के हाथ में होता, तो दूसरा कोना भरत के हाथ में, तीसरा कोना शत्रुध्न के हाथ में और चौथा कोना राम के हाथ में होतां पिताजी भी तो कुछ हिस्सा माँग लेतें तो विश्व के राज्यों में राम का राज्य नहीं होता, एक कोने में नाम होतां राम ने राज्य नहीं माँगा तो आज विश्व के कोने-कोने में राम का राज्य है; क्योंकि उन्होंने कह
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