Book Title: Purusharth Siddhi Upay
Author(s): Amrutchandracharya, Vishuddhsagar
Publisher: Vishuddhsagar

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Page 576
________________ पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमृत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 576 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 v- 2010:002 जला देती हैं दूसरी दृष्टि से, रत्नत्रय संसार का हेतु नहीं है, पर रत्नत्रय में जो शुभास्रव के मिश्रण की अवस्था हो गई है, इससे तू देव आदि पर्याय को प्राप्त हो रहा हैं पुण्य में राग होना, जैसे सम्मेदशिखर अपना क्षेत्र हैं यहाँ तुमने राग तो किया है, लेकिन पर वस्तु में किया हैं इसीलिए सम्यक्दर्शन, सम्यक्ज्ञान और सम्यक्चारित्र की एकता ही मोक्ष मार्ग है, अन्य कोई मोक्षमार्ग नहीं है तथा वह निश्चय और व्यवहार रूप हैं ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अर्ह श्री चन्द्रप्रभु जिनेन्द्राय नमः Sad S नमोऽ ३. जो भी दधन श्री १००८ चन्द्रप्रभु चैत्यालय, कल्याण, बम्बई Visit us at http://www.vishuddhasagar.com Copy and All rights reserved by www.vishuddhasagar.com For more info please contact : akshayakumar_jain@yahoo.com or pkjainwater@yahoo.com

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