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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 167 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
आपने ऐसे परिणाम कर लिए कि रामायण-महाभारत हो गयीं आचार्य अमृतचंन्द्र स्वामी का चिन्तन कितना बेजोड़ है ? वह कह रहे हैं कि जब भाव ही नहीं हों, तो द्रव्यहिंसा कैसे होगी? इसलिए पहले द्रव्यहिंसा का कथन नहीं किया, पहले भावहिंसा का कथन किया हैं
भो ज्ञानी! रागादिकभावों को न होने देना, इसका नाम अहिंसा हैं योगी को यह भी विकल्प नहीं होता कि यह पेन मेरा हैं यदि यह विकल्प आ गया, तो हिंसा हो गयीं क्योंकि तूने निज-भाव से हटकर, पर-में राग किया है और राग से कर्मबंध होता हैं अतः, यहाँ कह रहे हैं कि पर-द्रव्य में राग का होना, हिंसा हैं जिसने राग के पहाड़ बनाये हों, वह हिंसा कैसे अहिंसा हो सकती है? अहो! राई–मात्र राग जब बंध का कारण है, तो विशाल-राग अबंध का कारण कैसे हो सकता है? इसलिए जितना बने, उतना हिंसा से हटते जाओं बस इतना ध्यान रखना कि यदि अहिंसा में जीना चाहते हो तो रिश्ता बनाकर ही चलनां जैसे रिश्तेदार घर में आते हैं, तो खूब सम्मान कर लेते हो, परंतु उनके जाने पर विकल्प नहीं आतां ऐसे ही परिवार को रिश्तेदार ही समझों उनको हकदार या साझेदार बना लिया तो समझ लो कि कर्म का साझा होगां
भो ज्ञानी! यह हिंसा पुण्य के वेग में हो रही हैं व्यक्ति जीव को जीव नहीं समझता, संतान को संतान नहीं, बहु-बेटी को बहु-बेटी नहीं समझ पा रहा हैं उसे अहंकार है कि मेरे पास सबकुछ हैं लेकिन ध्यान रखना, उस जीव का तो अशुभ कर्म का उदय है ही, पर आपने नवीन कर्म का बंध कर लियां यह मंदिर की बातें नहीं हैं, यह घर की बातें हैं धर्म तो आपके घर से होगा, मंदिर में तो धर्म सीखा जाता हैं धर्म का पालन तो घर में ही होता हैं यहाँ आप से कहा जाता है कि पानी छानकर पियो, तो क्या आप यहाँ (मंदिर में) पी रहे हो? छन्ना तो घर पर हैं लोगों की धारणाएँ बड़ी विचित्र हैं दिन भर पाप करते हैं और थोड़ी देर को मंदिर आ गयें बोले-महाराजश्री! हम धर्म कर आयें अहो! आपने धर्म नहीं किया, आप तो मात्र धर्म के स्थान पर गये थे, धर्म तो घर पर ही होगां
मनीषियो! अहिंसा की चर्चा प्रारंभ हो गयी हैं आपके नल की टोंटी में छन्ना लगा हैं अहो! सोचो तो, आपको पानी की थैली में बंद कर दिया जाये तो क्या हालत होगी तुम्हारी? बिलछानी कब करते हो? बोलेमहाराजश्री जब वह सड़कर गिर जाएगी, तो स्वयं हो जाएगी आगम में लिखा है-एक माँ से बिना छने जल की एक बूंद नीचे गिर गई थीं एक बूंद गिरने से सात भव सूकरी बनी, सात भव सियालिनी बनी, सात भव गंधी बनीं एक बूंद गिरने से उसकी यह दशा हुई अब बताओ, आपकी क्या हालत होगी? "नदियन बिच चीर धुवाए, कोसन के जीव मराये" कपड़े साफ होकर नहीं आये और उस धोबी को डाँट दियां देखो, हिंसाजन्य रौद्र-ध्यान चल रहा हैं यह किसमें आनन्द मना रहे हो? वस्त्र साफ होकर आये, प्रसन्न हो गयें परन्तु यह नहीं पूछा कि यह कपड़े साफ कैसे हुए? कास्टिक सोडे, सर्फ या साबुन से धुलते हैं उसकी एक बूंद आँख में
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