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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 301 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
मतं डराने के संस्कार डाल दोगे तो चिंता मत करो जब वह जवान होगा और आप वृद्ध होंगे तब वह धमकायेगां इसीलिए दोष उनका नहीं, आपका हैं
___ भो ज्ञानी! तुम्हारे द्वारे पर कोई भिखारी आया हो, प्रेम से बोल दों आपके वचनों में कौन-सी दरिद्रता है? प्रियवचन सुनने से सभी जीव संतुष्ट हो जाते हैं प्रसन्नता का माहौल था और खड़े हो गये, भाषण ऐसे कर दिये कि सभी की भावनाएँ खिन्न हो गयीं अरे! खिन्न करने के, बैर को बढ़ाने वाले, शोक को उत्पन्न करने वाले शब्द नहीं बोलनां शांति की गंगा बह रही थी, आपने पत्थर पटक दिया, कीचड़ कर दिया, कलह कर दियां कई लोगों को कलह करने में बड़ा आनंद आता हैं लेकिन ध्यान रखो, हिंसा का दोष लगेगां असत्य तो है ही, पर हिंसा भी हैं जैनशासन वास्तव में सुखमय जीवन जीने की कला बताता है यानि परिणामों से भी सुखी रहो, शरीर से भी सुखी रहों कलह करोगे तो भोजन नहीं पचेगां आयुर्वेद में लिखा है कि गैस बनेगी, पेट के रोग होंगे और फिर पूरे शरीर में रोग हो जायेंगें ऐसा शब्द बोल देना कि 'हम जानते हैं तुम्हारे चरित्र को, और चले गये कहकर, फिर दिखे भी नहीं और बाद में पूछ रहे हो कि क्या हो गया? यानि किसी की बुद्धि को क्षीण करना हो तो क्लेश में डाल दो, उसका ज्ञान-ध्यान सब नष्टं इसीलिए करुणा करना उन जीवों पर, क्लेश करके बुद्धि को नष्ट नहीं करनां ये सभी वचन अप्रिय हैं, सभी में प्रमाद का योग है, इसलिए झूठ वचनों में नियम से हिंसा होती हैं अतः जो झूठ बोलता है, वो हिंसक ही हैं आचार्य भगवान कह रहे हैं कि जहाँ प्रमाद है, वहाँ असत्य हैं
असत्य को छोड़ो, जीवन में सत्य को स्वीकारों
श्री भगवान महावीर, वैशाली तीर्थ, बिहार Visit us at http://www.vishuddhasagar.com
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