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प्रश्नों के उत्तर *जैन - धर्म
प्रथम अध्याय
प्रश्न- 'जैन' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है ? उत्तर- 'जन' जिन शब्द से निष्पन्न होता है। 'जिन' शब्द जि= जये घातु से बना है!, अर्थात् जो जीतता है, विजय प्राप्त करता है, वह जिन है और उस विजेता का उपासक जैन कहलाता है।। . प्रश्न- क्या जिन भी दूसरे पर विजय प्राप्त करता है ? उस के भी कोई शत्र है ? उत्तर- हाँ,जिन एक महान् विजेता है । वह अपने असाधारण शत्रु
ओ को परास्त कर के जगन्नाथ बनता है। परन्तु, उस की यह विजय किसी मानव पर नही होती। वह किसी इन्सान को नहीं पछाड़ता। उसका सघर्ष किसी जीवधारी से नही, राग-द्वष से, काम-क्रोध से, मनोविकारो से होता है। वह अनन्त काल से ससार चक्र में परिभ्रमण
जि जये, जयतीति जिन ,जिनो देवताऽस्य इति जैन.। - +lt is also applicable to all those men and women who have conquered their lower nature & who have by means of a thorough victory over all attachments and anti-pathies realised the Highest. Dr. Radha Krishanan, Indian Philosophy 1, P.286.