________________
नहीं जानता। क्योंकि उसके पास अनगिनत हीरे -जवाहरात थे। सात बड़े -बड़े कमरों में उन हीरों को रखा गया था वे कमरे पूरे हीरों से भरे हुए थे। यहां तक कि निजाम को तो यह भी न मालूम था कि कितने हीरे हैं।
लेकिन फिर भी हैदराबाद का जो निजाम था, वह बहुत ही कंजूस था-तुम भरोसा भी न कर सकोगे, इतना कंजूस। तुम्हें यही लगेगा कि मैं गलत कह रहा हूं। वह इतना कंजूस था कि जब उसके महल में मेहमान आते और वे अपनी अधूरी जली सिगरेटें ऐश-ट्रे में छोड़ जाते, तो वह उन जली हुई सिगरेटों को इकट्ठी करके, उनको पीता था। शायद तुम्हें मेरी बात पर भरोसा नहीं आएगा लेकिन यह सच है।
जब वह हैदराबाद का निजाम बना, जब से वह गददी पर बैठा, चालीस वर्षों तक वह एक ही टोपी का उपयोग करता रहा। वह दुनिया की सब से गंदी टोपी थी। उस टोपी को कभी भी धोकर साफ नहीं किया गया था, क्योंकि उसे भय था कि धोने से कहीं टोपी खराब न हो जाए। वह एक गरीब आदमी की तरह जीया। और वह अपनी प्रजा से कहा करता था कि 'मैं एक सीधा-सादा आदमी हं। शायद मैं सबसे ज्यादा अमीर आदमी हूं दुनिया का, लेकिन मैं गरीब आदमी का जीवन जीता हूं।'
लेकिन वह गरीब नहीं था, वह कंजूस था। वह कहता था, चूंकि उसे दिखावे में रस नहीं है इसलिए वह इतना सीधा-सरल जीवन जीता है। वह अपने को फकीर समझता था। लेकिन वह ऐसा था नहीं। उस जैसा कंजूस कभी कोई हुआ नहीं सबसे ज्यादा अमीर और सबसे ज्यादा कंजूस। लेकिन अपनी कंजूसी के लिए, वह सभी प्रकार के तर्क और कारण ढंढ लिया करता था।
वह बहुत ही भयभीत, और अंधविश्वासी भी था. वह प्रार्थना करता था और ऐसा दिखाने की कोशिश करता था कि वह बड़ा महान धार्मिक है। लेकिन ऐसा था नहीं। वह तो केवल डरा हआ भयभीत आदमी था। रात्रि को जब वह सोता था, तो एक बड़ी ही अजीब चीज को साथ लेकर सोता करता था। उसके पास एक बड़ा सा पात्र था, जिसे वह नमक से भर लेता था, और उस नमक के पात्र में अपना एक पैर रख लेता था-रात भर वह ऐसे ही सोता था। क्योंकि मुसलमानों में एक धारणा है कि अगर तुम्हारा पैर नमक को छू रहा हो, तो भूत-प्रेत तुम्हें नहीं सता सकते।
इतना डरा हुआ आदमी कैसे प्रार्थना कर सकता है त्र: जिसे भूत-प्रेतों का इतना भय हो, वह परमात्मा को कैसे प्रेम कर सकता है? क्योंकि जो परमात्मा से प्रेम करता है, उसका भय मिट जाता है। लेकिन उसने बहुत लोगों को धोखा दिया। और अगर उसने बहुत लोगों को धोखा नहीं भी दिया तो भी कम से कम स्वयं को तो धोखा दिया ही।
ध्यान रहे, हमेशा शुरुआत से ही प्रारंभ करना। इसे देखना कि तुम्हारी पकड़ कहां है और तुम क्यों पकड़ रहे हो।