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योग ने सबसे बड़ा प्रयोग किया है मनुष्य जाति के यथार्थ के जगत का सबसे बड़ा प्रयोग किया है।
और केवल दो छोटी सी बातों को लेकर, लेकिन वे बातें कोई छोटी नहीं हैं। जब कोई व्यक्ति उन्हें जान लेता है, तो वह सर्वाधिक विराट घटनाओं में से एक घटना है।
तो आज के सूत्रों के बारे में जो सबसे महत्वपूर्ण बात है, वह है प्राण का आविष्कार। यह योग के मंदिर की आधारशिला है। हम श्वास लेते हैं। तो योग का कहना है कि हम केवल वाय् को ही श्वास में नहीं भर रहे हैं, हम प्राण को भी श्वास में भर रहे हैं। असल में वायु तो प्राण के लिए एक वाहन मात्र है, एक माध्यम मात्र है। हम केवल श्वास के दवारा जीवित नहीं रह सकते। श्वास तो घोड़े की तरह है, और हमने अभी तक घुड़सवार को जाना ही नहीं है। उस पर सवारी करने वाला प्राण है। अब बहुत से मनस्विद इस रहस्य से परिचित हो गए हैं - अब वे उसे जान गए हैं, जो श्वास पर सवारी करता हुआ आता है, श्वास पर सवारी करता हुआ जाता है, जो निरंतर भीतर –बाहर आता –जाता रहता है। लेकिन फिर भी इसे पश्चिम में अभी तक वैज्ञानिक तथ्य के रूप में मान्यता नहीं मिली है। ऐसा होना चाहिए, क्योंकि आधुनिक विज्ञान का कहना है कि पदार्थ का अस्तित्व नहीं है, हर चीज ऊर्जा के रूप में ही अस्तित्व रखती है। चाहे पत्थर हो या चट्टान हो सभी ऊर्जा के रूप हैं, हम भी वही ऊर्जा हैं। इसलिए हमारे भीतर भी बहुत सी ऊर्जाओं की लहरें लहरा रही हैं।
फ्रायड का परिचय इस वास्तविकता से संयोगवशात हो गया था। मैं कहता हूं, 'संयोगवशात,' क्योंकि उसकी आंखें खुली न थीं, उसकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी। वह कोई योगी न था। वह फिर से उसी वैज्ञानिक दृष्टि की पकड़ में आ गया जो प्रत्येक चीज को विषय -वस्तु में परिवर्तित कर देती है। उसने इसे 'लिबिडो' कहकर पुकारा।
अगर तुम योगियों से पूछो तो वे कहेंगे लिबिडो का अर्थ है, रुग्ण -प्राण। जब प्राण गतिवान नहीं होता, जब प्राण ऊर्जा रुक जाती है, जब प्राण ऊर्जा अवरुद्ध हो जाती है, इसी तथ्य को -फ्रायड ने जाना था। और फ्रायड की बात को समझा जा सकता है, क्योंकि फ्रायड केवल रुग्ण लोगों के साथ, स्नायु रोगियों, पागलों, और विक्षिप्त लोगों के साथ काम कर रहा था। रुग्ण और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों के साथ काम -करते वह यह जान गया कि उनके शरीर में कोई रुकी हुई ऊर्जा है, और जब तक वह ऊर्जा निर्मुक्त नहीं होती, वे फिर से स्वस्थ नहीं हो सकेंगे। योगियों का कहना है कि लिबिडो का अर्थ है, प्राण के साथ कुछ गलत घट गया है। वह रुग्ण प्राण है। लेकिन फिर भी फ्रायड संयोगवशांत उस बात से टकरा गया जो आगे भविष्य में बहुत संकेतपूर्ण हो सकती है।
और फ्रायड के शिष्यों में से एक शिष्य, विलियम रेक इसमें और भी गहरे गया। लेकिन उसे अमेरिका की सरकार ने पकड़ लिया, क्योंकि जो कुछ वह कह रहा था उसे वह बहुत वैज्ञानिक रूप से, बहुत ठोस वस्तुगत रूप से प्रमाणित नहीं कर सकता था। वह एक पागल आदमी की तरह जेल में मरा। अमरीकी सरकार ने उसे पागल करार दे दिया था। पश्चिम में जन्मे अभी तक के महानतम व्यक्तियों में से वह एक था। लेकिन फिर वही कि वह आंखों पर पट्टी बांधकर काम कर रहा था। वह अभी भी