Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 04
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 505
________________ भी तुम हो, उसी रूप में मैं तुम्हें समाहित कर लेने के लिए तैयार हूं। और मैं सभी तरह की ऊर्जाओं का उपयोग कर लेता हूं। और अगर बुराई का उपयोग अच्छाई के लिए किया जाए, तो वह अदभुत रूप से सृजनात्मक हो जाती है। मेरे इस आश्रम में कुछ भी अस्वीकृत नहीं है, इसलिए तुम सारी पृथ्वी पर कहीं भी ऐसा आश्रम न पाओगे। और यह तो एक शुरूआत है। जब और शैतान आ जाएंगे, तब तुम देखना। आज इतना ही। (चौथा भाग-समाप्त)

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