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यह बात अगर रोज-रोज गहरी होती चली जाए, तो एक दिन ऐसा संभव हो सकता है कि तुम ऊपर उठ सकी।
बोलीविया में एक स्त्री है। जिसका सभी तरह से वैज्ञानिक ढंग से निरीक्षण और परीक्षण किया गया है, वह स्त्री पृथ्वी से ऊपर उठ जाती है। वह कुछ क्षणों के लिए जमीन से चार फीट ऊपर उठ जाती है - बस ध्यान करने से वह आख बंद करके ध्यान में बैठ जाती है और वह ऊपर उठने लगती है।
'समान ऊर्जा प्रवाहिनी को सिद्ध करने से योगी अपनी जठर अग्नि को प्रदीप्त कर सकता है।'
तब भोजन को बड़ी आसानी से और पूरी तरह से पचाया जा सकता है। और केवल यही नहीं, जब जठर अग्नि प्रज्वलित हो जाती है, तो पूरी देह के आसपास विशेष आभा मंडल बन जाता है। एक विशेष प्रकार की अग्नि, एक तरह की जीवंतता का आविर्भाव हो जाता है।
और यह अग्नि योगी को अपने पूरे शरीर को शुद्ध करने में सहयोगी होती है क्योंकि यह अग्नि भीतर के सभी कूड़े कचरे को, दुर्गंध को, उन सबको जो वहां पर नहीं रहना चाहिए, उनको जला देती है। जठर अग्नि शरीर के भीतर की सारी अशुद्धियों और विष - तत्वों को जलाकर नष्ट कर देती है। और यह अग्नि, अगर सच में ही इसे समग्ररूपेण प्रज्वलित किया जा सके, तो मन को भी जला सकती है। इस अग्नि में विचार जलकर राख हो सकते हैं, इच्छाएं जलकर भस्म हो सकती हैं। और पतंजलि कहते हैं, अगर एक बार इस अग्नि को जान लो, एक विशेष ढंग की श्वास प्रक्रिया के द्वारा एक विशेष प्राण ऊर्जा को पा लिया और उसे भीतर संचित कर लिया, तो जीने की आकांक्षा ही समाप्त हो जाती है - तब इच्छा का, आकांक्षा का बीज ही जलकर राख हो जाता है। फिर उसके बाद जन्म नहीं होता। इसे ही पतंजलि निर्बीज समाधि कहते हैं – जहां बीज भी जलकर समाप्त हो जाता है।
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'आकाश और कान के बीच के संबंध पर संयम ले आने से पर। भौतिक श्रवण उपलब्ध हो जाता
है।'
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संस्कृत के आकाश शब्द को अंग्रेजी में ईथर कहते हैं। आकाश शब्द परमात्मा से कहीं अधिक व्यापक, विराट और बोधगम्य है। आकाश का अर्थ होता है वह अंतराल, वह शून्यता जो सभी को घेरे हुए है। आकाश का अर्थ होता है वह महाशून्य जिससे हर चीज आती है और उसी में विलीन हो जाती है वह अनंत, अनादि शून्यता जो प्रारंभ से है और जो अंत में भी बच रहेगी। सभी कुछ इसी शून्यता में से आता है और इसी में समाहित हो जाता है। लेकिन इसका अभिप्राय किसी तरह के रिक्तता या खालीपन से नहीं हैं। यह शून्यता नकारात्मक नहीं है। यह शून्यता पूरी तरह से पोर्टनशियल है, जिसमें अनंत शक्ति छिपी हुई है, जिसमें अनंत संभावनाएं छिपी हुई हैं। यह सकारात्मक है, लेकिन फिर भी आकार - विहीन है, उसका कोई रूप या आकार नहीं है।