Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 04
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 488
________________ उसमें धारणा, विचार, दृश्य, चित्र कुछ भी नहीं होता है। उसमें केवल अदभुत शून्यता और खालीपन होता है -जो सुंदर होता है, फिर भी समग्ररूपेण शून्य होता है। भयभीत मत होना। ऐसे ही धीरे -धीरे वर्तमान में ठहरना हो जाता है और स्वयं से मिलन हो जाता दूसरा प्रश्न: पतंजलि ने यह सब क्यों लिखा: और आपने योग-सूत्र पर बोलना क्यों चुना जब कि दोनों में से कोई भी हमें साधना की मूलभूत कुंजियां देने को तैयार नहीं? मलभूत कुंजियों को आपस में सहभागी बनाया जा सकता है, लेकिन उन पर बात नहीं की जा सकती। पतंजलि ने ये सूत्र इसीलिए लिखे, ताकि वे तुम्हें आवश्यक मूलभूत कुंजियां दे सकें, लेकिन उन कुछ महत्वपूर्ण कुंजियों को सूत्र के रूप में नहीं डाला जा सकता। सूत्र तो केवल परिचय मात्र होते हैं, सूत्र तो केवल सत्य की भूमिका मात्र होते हैं। इसे थोड़ा समझना। पतंजलि के योग सूत्र उस हस्तांतरण की भूमिका ही हैं, जिसे वे घटित करना चाहते हैं। यह सत्र तो बस प्रारंभिक संकेत हैं। इन सत्रों के माध्यम से वे केवल यह बता देते हैं कि कुछ ऐसा है जो संभव हो सकता है। वे तुम्हें आशा बंधा देते हैं, वे तुम्हें भरोसा दिला देते हैं, उसकी कुछ झलक दिखला देते हैं। फिर पतंजलि के निकट आने के लिए बहुत कुछ करना होता है। गहन आत्मीयता के क्षण में वे कुंजियां शिष्य को हस्तांतरित कर दी जाती हैं। और इसीलिए मैंने योग-सूत्रों पर बोलना चुना है। यह बोलना तो तुम्हें प्रलोभन देने के लिए है, तुम्हें फुसलाने के लिए है, ताकि तुम मेरे निकट आ सको। यह बोलना तो जिस प्यास को तुम जन्मोंजन्मों से अपने भीतर लिए घूम रहे हो, उसे बुझाने में मदद करना है। लेकिन तुम्हें कुछ पता नहीं है कि कैसे उस प्यास को बुझाना है। और जब तुम्हें उस प्यास को बुझाने का कोई उपाय नहीं सूझता, तो तुम उसे भुला देना चाहते हो। तुमने उस प्यास को अपनी चेतना से हटा दिया है। उसे तुमने अपने अचेतन के अंधेरे तलों में धकेल दिया है, क्योंकि उससे तुम्हें अड़चन होती थी। अगर व्यक्ति में कोई विशेष तरह की प्यास हो और वह उसे बुझा नहीं सके, तो उसका चेतना में बने रहना बहुत बोझिल और कष्टप्रद हो जाता है। वह बहुत झंझटपूर्ण हो जाता है। वह प्यास तुम्हारे द्वार पर हमेशा

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