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आदत का प्रश्न ही नहीं है, इसका आदत से कोई संबंध नहीं है। बस, जागरूक हो जाओ। अगर खाना खा रहे हो, तो खाना ही खाओ सिर्फ खाना ही खाओ। खाने में पूरी तरह से तल्लीन हो जाओ। अगर प्रेम कर रहे हो, तो शिव हो जाओ और अपनी संगिनी को देवी हो जाने दो। प्रेम करो और सभी देवताओं को देखने दो और आने दो और जाने दो - किसी की कोई चिंता मत लो। जो कुछ भी तुम करो अगर सड़क पर चल रहे हो, तो बस चलो भर! हवा का, सूरज की धूप का, वृक्षों का आनंद लो वर्तमान के क्षण में जीओ, उसका आनंद मनाओ।
और ध्यान रहे, मैं तुम्हें इसका अभ्यास करने को नहीं कह रहा हूं। यह तो अभी इसी क्षण, बिना किसी अभ्यास के किया जा सकता है। इसे अभी इसी क्षण किया जा सकता है, केवल थोड़ा सा विवेक, थोड़ी सी बुद्धिमता चाहिए। आदतें और आदतो का अभ्यास यह सब तो मूड लोगों के लिए है। क्योंकि वे बुद्धिमत्ता से नहीं जी सकते हैं। उन्हें आदतो की, अनुशासनों की या इस बात की या उस बात की मदद लेनी होती है।
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अगर तुम समझदार हो, बुद्धिमान हो और मेरे देखे तुम में समझ है, तुम में बुद्धिमता है, मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूं और किसी बात की आवश्यकता नहीं है। बस, प्रारंभ कर दो! यह मत पूछो, कैसे करना है? अभी से प्रारंभ कर दो। तुम मुझे सुन रहे हो। बस केवल सुनो।
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तुम में से बहु से लोग सोच के साथ तुलना कर रहे होंगे।
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विचार कर रहे होंगे, सुन नहीं रहे होंगे, अपनी - अपनी पूर्व धारणाओं
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जिसने यह प्रश्न पूछा है वह मुझे सुन नहीं रहा है, यह बात मैं एकदम दावे के साथ कह सकता हूं मैं नहीं जानता कि किसने पूछा है यह प्रश्न। मेरा दावा कहां से आ रहा है! क्योंकि मैं प्रश्न से ही पूछने वाले के मन को समझ सकता हूं। प्रश्न पूछने वाला तो जरूर मेरे ऊपर क्रोधित हो रहा होगा, और साथ ही परेशान भी हो रहा होगा।
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लोग प्रश्न सांत्वना पाने के लिए पूछते हैं। लेकिन मैं यहां पर तुम्हें सांत्वना देने के लिए नहीं हूं। मैं तुम्हें पूरी तरह से झकझोर देना चाहता हूं, ताकि तुम पूरी तरह से मिट सको-अंततः तुम अपनी चालाकियों से परेशान होकर उन्हें छोड़ दो।
और मैं जानता हूं, वैसे ही जैसे कि एक बार हुआ:
एक रहस्यवादी, एक सूफी रहस्यवादी शेख फरीद, एक राजा के द्वारा आमंत्रित किया गया। फरीद उस राजदरबार में पहुंचा तो राजा फरीद से बोला, मैंने आपके बारे में बहुत से चमत्कारों की बातें सुनी हैं। और अगर आप सचमुच यह दावा करते हैं कि आप एक बड़े संत और रहस्यवादी हैं तो मुझे कोई चमत्कार दिखाएं। क्योंकि आध्यात्मिक लोग हमेशा चमत्कारी हुआ करते हैं।'