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तरह के उन्माद और पागलपन की आवश्यकता होती है। उन्हें धर्म के नाम पर एक ऐसी मतांधता आवश्यकता होती है जो युद्ध कर सके और लोगों की हत्या भी कर सके। उन्हें एक तरह की हिंसा की आवश्यकता होती है, ताकि वे इस बात के प्रति विश्वस्त हो सकें कि वे कोई महान कार्य कर रहे
हैं।
नहीं, मैं यहां पर तुम्हें कोई महान कार्य सिखाने के लिए नहीं हूं। मुझे तुमसे बस एक ही बात कहनी है, एक बहुत ही सीधी-सरल बात, एकदम छोटी और साधारण बात. कि तुम जान लो कि तुम कौन हो। क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम साधारण नहीं हो, तुम असाधारण हो। और जब मैं कहता हूं कि तुम असाधारण हो, तो इसमें कोई मैं तुम्हारी प्रशंसा नहीं कर रहा हूं, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति उतना ही असाधारण है, जितने कि तुम हो-तुम से जरा भी कम नहीं, जरा भी ज्यादा नहीं। मेरे देखे इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति बेजोड़ है, अनुपम है, अनूठा है। किसी दूसरे के साथ तुलना की कोई आवश्यकता ही नहीं है।
नहीं, इसके लिए कुछ प्रमाणित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम प्रमाणित हो ही। तुम इस संसार में हो, अस्तित्व ने तुम्हें स्वीकार किया है, तुम्हें जन्म दिया है। परमात्मा का तुममें वास है ही। इससे अधिक तुम्हें और क्या चाहिए?
तीसरा प्रश्न:
झेन संत जो कि प्रत्येक सुबह एक ध्यान की भांति हंसते है- क्या आपको नहीं लगता है कि वे अपने हंसने को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से लेते हैं।
क्योंकि वे फिर से हंसते हैं -एक दूसरी हंसी-पहली हंसी के कारण कि हम कितने मूढ़ हैं!
हम क्यों हंस रहे हैं?
अगर तुम केवल एक बार ही हंसते हो, तो उस हंसी में गंभीरता हो सकती है। इसलिए हमेशा ध्यान रखो कि दो बार हंसना है। पहली बार केवल हंसी, और फिर दूसरी बार हंसी के ऊपर हंसो। तब तुम गंभीर नहीं हो सकोगे।
और झेन लोग वैसे धार्मिक लोग नहीं हैं, जिन्हें कि तुम धार्मिक मानते हो। वे वैसे नहीं हैं। झेन कोई धर्म नहीं है; झेन एक दृष्टि है। उसका कोई धर्मशास्त्र नहीं है। उसके पास प्रतीक्षा करने को कुछ भी