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प्रत्येक शब्द को ठीक से समझ लेना, क्योंकि प्रत्येक शब्द अदभुत रूप से महत्वपूर्ण है।
'अंतर कर पाने की अयोग्यता के परिणाम स्वरूप अनुभव के भोग का उदभव होता है। सभी अनुभव, फिर वह चाहे कोई सा भी अनुभव हो, भ्रांति मात्र होते हैं। तुम कहते हो, मैं दुखी हू या तुम कहते हो, मैं सुखी हूं या तुम कहते हो, मुझे भूख लग रही है या तुम कहते हो, बहुत अच्छा लग रहा है और मैं स्वस्थ अनुभव कर रहा हूं -सभी अनुभव भ्रांति हैं, भ्रम हैं।
जब तुम कहते हो, मुझे भूख लगी है, तो वास्तव में तुम्हारा इससे क्या मतलब होता है? तुम्हें कहना चाहिए, मुझे इसका बोध हो रहा है कि शरीर को भूख लगी है। तुम्हें यह नहीं कहना चाहिए मुझे भूख लगी है। तुम्हें भूख नहीं लगती। भूख शरीर को लगती है, तुम तो बस भूख को जानने वाले होते हो। अनुभव तुम्हारा नहीं होता, केवल बोध और जागरूकता तुम्हारी होती है। अनुभव शरीर का होता है, जागरूकता तुम्हारी होती है। जब तुम दुखी अनुभव करते हो, तो दुख का अनुभव शरीर का या मन का हो सकता है -जो कि दो नहीं हैं।
शरीर और मन एक ही रचना - तंत्र के अंग हैं। शरीर उसी तत्व की स्थूल प्रक्रिया है, और मन सूक्ष्म प्रक्रिया है, लेकिन दोनों एक ही हैं। यह कहना ठीक नहीं है कि शरीर और मन, हमें कहना चाहिए शरीर –मन। शरीर और कुछ नहीं, मन का ही स्थूल रूप है। और अगर तुम अपने शरीर का निरीक्षण करो तो तुम पाओगे कि शरीर भी मन के अनुसार ही कार्य करता है। अगर तुम गहरी नींद में हो,
और एक मक्खी तुम्हारे चेहरे पर आकर बैठ जाए, तो तुम बिना जागे ही हाथ से मक्खी को उड़ा देते हो। शरीर अपने से मन के अनुसार कार्य को कर देता है। या पांव पर कोई कीड़ा रेंग रहा हो तोशरीर अपने आप उसे हटा देता है - गहन निद्रा में भी। सुबह जब तुम सोकर उठोगे तो तुम्हें कुछ भी स्मरण न रहेगा। शरीर मन के अनुसार ही कार्य करता है -हालाकि करता बहुत ही स्थूल रूप से है, लेकिन शरीर मन के रूप में ही कार्य करता है।
तो शरीर -मन को सभी तरह के अनुभव होते हैं – अच्छे -बुरे, सुख के, दुख के –उससे कुछ अंतर नहीं पड़ता। तुम अनुभव करने वाले कभी नहीं होते हो, तुम हमेशा अनुभव के प्रति जागरूक होते हो। इसलिए पतंजलि का यह वक्तव्य बहुत ही निर्भीक वक्तव्य है।
'......अंतर कर पाने की अयोग्यता के परिणाम स्वरूप अनुभव के भोग का उदभव होता है। सभी अनुभव भ्रम हैं, भांति हैं। और भ्रांति इसलिए उत्पन्न होती है, क्योंकि हम भेद नहीं कर पाते हैं, हम नहीं जानते हैं कि कौन क्या है।
बहुत बार ऐसा होता है। अमेजान में आदिवासियों की एक छोटी सी आदिम जनजाति है। उस जनजाति जब कोई स्त्री बच्चे को जन्म दे रही होती है, तो उस स्त्री का पति भी दूसरी चारपाई पर