Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 04
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 440
________________ लेकिन इन सारी मूढ़ताओं का एक ही कारण है, क्योंकि मन तुम्हारे साथ चालाकी करता है। मन हमेशा उन बातों को जिन्हें करने के लिए प्रशिक्षण और अनुशासन की जरूरत होती है, उन्हें भी करने के लिए कहता है, और फिर जब ऐसा नहीं हो पाता है तो तुम नपुंसक अनुभव करते हो। अगर तुम नपुंसक और अशक्त हो जाते हो तो मन सशक्त हो जाता है। अनुपात सदा यही रहता है अगर तुम होते हो तो मन अशक्त हो जाता है, अगर तुम सशक्त होते हो, तो मन सशक्त नहीं हो सकता है, अगर तुम अशक्त होते हो, तो मन सशक्त हो जाता है। वह तुम्हारी ऊर्जा से जीता है, वह तुम्हारी असफलता से जीता है, वह तुम्हारे हारे हुए व्यक्तित्व द्वारा जीता है, वह तुम्हारी हारी हुई इच्छा शक्ति द्वारा जीता है। तो कभी भी जल्दबाजी मत करना। मैंने एक चीनी रहस्यदर्शी, मेनशियस के बारे में सुना है, जो कि कस्मृशियस का शिष्य था। एक बार उसके पास एक अफीमची आया और उससे आकर बोला, मेरे लिए अफीम छोड़ना असंभव है। मैंने सभी तरीके, और उपाय आजमा लिए हैं। अंततः मैं विफल हो जाता हूं। मैं पूरी तरह से असफल हो चुका हूं। क्या आप मेरी कोई मदद कर सकते हैं?' मेनशियस ने उसकी पूरी बात सुनी। वह समझ गया कि उसके साथ क्या हुआ था. उसने अफीम छोड़ने के लिए बहुत ज्यादा कोशिश की थी। उसने उस आदमी को चाक का एक टुकड़ा दिया और उससे बोला,' अपनी अफीम को चाक के साथ तौलो, और जब भी तौलो तो लिख लेना-एक, दो, तीन, और दीवार पर लिखते जाना कि तुमने कितनी बार अफीम ली। और मैं एक महीने के बाद फिर आऊंगा। उस आदमी ने मेनशियस के बताए इस प्रयोग को किया। जब कभी वह अफीम लेता तो उसे चाक के बराबर का वजन रखना पड़ता। और उसकी चाक धीरे – धीरे खत्म होती जा रही थी, क्योंकि हर बार उसे लिखना पड़ता था एक, फिर उसी चाक से दो, तीन लिखना पड़ता था धीरे -धीरे वह चाक खत्म होने को आ गई। शुरू में तो उसे मालूम ही नहीं पड़ा कि चाक धीरे – धीरे कम होती जा रही है, और उसी मात्रा में उसकी अफीम भी कम होती जा रही थी, लेकिन बहुत ही धीरे – धीरे और सूक्ष्म ढंग से कम हो रही थी। एक महीने बाद मेनशियस जब उस आदमी को देखने आया तो वह आदमी जोरों से हंसने लगा और बोला,' आपने मेरे साथ खूब चालाकी की! और यह आपकी चालाकी काम कर रही है। यह इतने सूक्ष्म ढंग से, इतने धीरे – धीरे हुआ है कि मैं इस परिवर्तन को अनुभव भी नहीं कर सका, लेकिन फिर भी परिवर्तन तो हो ही रहा है। आधी चाक खत्म होने को आई-और आधी चाक के साथ, आधी अफीम भी खत्म हो गई।'

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