________________
व्यक्ति स्वयं के होने को खो बैठता है। उसका स्वयं का अस्तित्व मिट जाता है। तब वह कार्य के साथ इतना अधिक तादात्म्य बना ले सकता है कि अपने अस्तित्व को, अपने होने को भूल सकता है। तब तुम एक इंसान हो, यह भी भूल सकते हो। –इंजीनियर, या एक न्यायाधीश, एक राजनेता के रूप में इतना अधिक तादात्म्य हो सकता है कि वह मनुष्य है, यह भी भूल सकता है।
तब वह व्यक्ति स्वयं को दाव पर लगा रहा होता है, और तब वह एक यांत्रिक प्रक्रिया बनकर रह जाता है। समाज व्यक्ति का उपयोग तब तक करता है, जब तक उसका उपयोग किया जा सकता है। और फिर जब वह व्यक्ति समाज के उपयोग के लायक नहीं रह जाता है, तो समाज उसे उठाकर एक तरफ कर देता है। फिर समाज प्रतीक्षा करता है कि कब तुम्हारी मृत्यु हो जाए, क्योंकि अब तुम्हारी कोई उपयोगिता नहीं है।
जो व्यक्ति रिटायर हो जाते हैं, कार्य से अवकाश-प्राप्त कर लेते हैं, वे जल्दी मर जाते हैं। अगर - उन्होंने अवकाश ग्रहण न किया होता तो शायद वे देर से मरते, थोड़ी देर और जिंदा रहते। अवकाश -प्राप्त लोग समय से पहले के हो जाते हैं। रिटायर होने के बाद उनकी जिंदगी के करीब दस वर्ष कम हो जाते हैं। क्या होता है?
नपयोगी हो जाते हैं, तो उन्हें ऐसा लगने लगता है कि जहां कहीं भी वे जाते हैं उनका कोई उपयोग तो है नहीं, ज्यादा से ज्यादा वे हैं इसलिए लोग उन्हें सहन करते हैं, उनकी आवश्यकता तो है नहीं। और मनुष्य की यह एक बड़ी गहन आकांक्षा होती है कि उसकी आवश्यकता हमेशा बनी रहे - उसकी बड़ी से बड़ी आकांक्षा यही होती है कि उसकी आवश्यकता हमेशा बनी रहे। जब व्यक्ति को ऐसा लगने लगता है कि वह फालतू है, उसका कोई उपयोग नहीं है, उसको कूड़े -कचरे में फेंका जा सकता है, अब समाज के लिए उसकी कोई उपयोगिता नहीं रही है, तो व्यक्ति मृत्यु की तरफ सरकने लगता है। कार्य से अवकाश-ग्रहण करने की तिथि, मृत्य की तिथि भी बन जाता है -व्यक्ति तेजी के साथ मृत्यु की ओर बढ़ने लगता है। उसे ऐसा लगने लगता है कि अब वह घर –परिवार, समाज के लिए एक बोझ बन गया है, अब लोग उसे चाहते नहीं हैं। हो सकता है, कुछ लोग ऐसे व्यक्ति के प्रति थोड़ी-बहुत सहानुभूति भी दिखाएं, लेकिन फिर भी समाज में, घर –परिवार में उसका कोई सम्मान, प्रतिष्ठा और आदर नहीं रह जाता है। उसे कोई भी प्रेम नहीं करता है, तब व्यक्ति अपने को अकेला और अलग – अलग महसूस करने लगता है।
अगर तुम बदधि के साथ बहत ज्यादा तादात्म्य बना लेते हो तो तम एक वस्तु बन जाते हो, एक यांत्रिक प्रक्रिया बन जाते हो। जैसे एक अच्छी कार होती है, लेकिन जब उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है, तो उसे कूड़े –कचरे के ढेर में फेंक दिया जाता है। इसी तरह से समाज में तुम्हारा उपयोग किया जाएग:ग, और फिर जब तुम समाज के लिए उपयोगी नहीं रह जाओगे तो उठाकर एक तरफ फेंक दिया जाएगा- और तब तुम्हारा अतर्तम, तुम्हारा हृदय अतृप्त ही रह जाएगा, क्योंकि मात्र वस्तु