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बात नहीं कर रहा हूं। मैं तो 'केवल अ तुम्हारे साहस को बढ़ावा दे रहा हूं बस इतना ही। मैं तो तुम्हें किसी भी तरह से राजी कर रहा हूं किसी न किसी बहाने से तैयार कर रहा हूं ताकि तुम साहस पूर्वक अपने अभियान की ओर अग्रसर हो सको। मैं तुम्हारे भय के लिए नहीं बोल रहा हूं। जिसने भी अपने को अस्तित्व के हाथों में छोड़ा है, उसने पाया है कि अस्तित्व ही एकमात्र सुरक्षा है।
लेकिन मैं नहीं समझता कि तुम उस सुरक्षा को समझ सकते हो जो संपूर्ण अस्तित्व तुम्हें देता है। तुम जिस सुरक्षा की मांग कर रहे हो, वह सुरक्षा अस्तित्व के द्वारा नहीं मिलती, क्योंकि तुम्हें यही नहीं मालूम कि तुम क्या मांग रहे हो। तुम तो अपने ही हाथों मृत्यु की मांग कर रहे हो। क्योंकि केवल मृत शरीर ही पूरी तरह से सुरक्षित होता है, जो भी जीवंत है, जिसमें भी जीवन धड़क रहा है वह तो हमेशा खतरे में रहता है। जीवित रहना तो एक जोखम है। जितना अधिक व्यक्ति जीवंत होता है -उतनी ही अधिक उसके जीवन में जोखम, संकट, खतरा होता है।
नीत्शे ने अपने घर की दीवार पर एक आदर्श वाक्य लिखकर लगाया हुआ था खतरे में जीओ। किसी ने उससे पूछा, 'आपने ऐसा क्यों लिखकर रखा है?' नीत्शे ने जवाब दिया, 'केवल मुझे याद दिलाते रहने के लिए, क्योंकि मेरा भय भयंकर है।'
खतरे में जीओ, क्योंकि वही जीने का एकमात्र ढंग है। और कोई ढंग है भी नहीं। हमेशा अज्ञात की पुकार सुनो, और उसी की ओर बढ़ो। कहीं भी रुको मत। रुकने का मतलब है मृत्यु, और वह अपरिपक्व मृत्यु होती है।
मैं एक छोटी सी लड़की की जन्मदिन पार्टी में गया था। वहां पर ढेर सारे खिलौने और उपहार रखे हुए थे। और वह लड़की बहुत ही खुश थी क्योंकि उसकी सभी सहेलियां वहां थीं, और वे सब नाच - कूद रही थीं। खेलते -खेलते अचानक उस छोटी लड़की ने अपनी मां से पूछा-'मां, क्या पहले भी कभी आपके जीवन में ऐसे सुंदर दिन हुआ करते थे, जब आप खुश रहा करती थीं, और जीवन को जीती थीं?'
अधिकांश लोग अपनी मृत्यु के पहले ही मर जाते हैं। वे जीवन में सुरक्षा, आराम, सुविधा में ही रुककर रह जाते हैं। उनका जीवन बस एक कब्र का जीवन बनकर रह जाता है।
मैं तुम्हारे भय के बारे में नहीं बोल रहा हूं।
'.....जब मैं अपने को अस्तित्व के हाथों में छोड़ दूंगा, तो क्या अस्तित्व मेरी रक्षा करेगा?' अस्तित्व तो सदा ही रक्षा करता है, और मैं नहीं समझता कि अस्तित्व तम्हारे साथ कछ अलग का अपनाएगा। मैं नहीं मान सकता कि वह इसके अतिरिक्त कुछ और ढंग अपनाएगा। अस्तित्व सदा से ऐसा ही रहा है। अस्तित्व उन लोगों को ही बचाता है जिन्होंने अपने को उसके हाथों में छोड़ दिया है, जिन्होंने स्वयं को बीच से हटा लिया है, जिन्होंने अस्तित्व के सामने अपने को समर्पित कर दिया है।