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आखिरकार उनकी चार वर्ष की बालिका ने जोर से उनकी पलक खोल दी, सावधानी से चारों ओर देखा, फिर बोली, 'वे अभी जिंदा हैं।'
और मैं जानता हूं कि तुम भी जाग रहे हो। और तुम भी जानते हो कि तुम सोने का दिखावा कर रहे हो ।
सब तुम पर निर्भर करता है। जब तक तुम चाहो खेल को चला सकते हो, क्योंकि अंतत: उसके लिए तुम्हें ही मूल्य चुकाना पड़ेगा। मुझे इसकी कोई चिंता नहीं अगर तुम दिखावा करना चाहते हो, बहाना करना चाहते हो, तो ठीक। बिलकुल ठीक। ऐसा ही करो। लेकिन मैं समझ सकता हूं- मैं देख सकता हूं कि तुम सब बहाना कर रहे हो सोए हुए होने का. तुम जागने से भयभीत हो, अपने जीवन को जानने से भयभीत हो ।
जरा इस सत्य को समझने की कोशिश करना। उन उपायों के बारे में मत पूछने लगना कि तुम किनारा कैसे ढूंढ सकते हो। तुम उसी पर तो खड़े
हुए हो।
होशियार बनने की कोशिश मत करो, क्योंकि अंतर्जगत में होशियार होना मूढता है। अंतर्जगत में मूठ होना होशियार होना है। अंतर्जगत में जो जानकारी से भरे हुए नहीं हैं, वे जानकार लोगों की अपेक्षा कहीं अधिक जल्दी बुद्धत्व को उपलब्ध होते हैं। अंतर्जगत में जो निर्दोष हैं - और अज्ञानता ही निर्दोषता है निर्दोषता सौंदर्यपूर्ण होती है, अज्ञानता अदभुत रूप से सुंदर होती है और निर्दोष होती है।
मैं जो कह रहा हूं थोड़ा समझने की कोशिश करना मैं जानता हूं कि तुम सुन रहे हो। मैं तुम्हारी आंखों में देख सकता हूं कि तुम अभी जिंदा हो। तुम मरे नहीं हो, तुम सोए नहीं हो तुम तो बस सोए रहने का दिखावा कर रहे हो।
और जब भी यह सब तुम पर निर्भर है जब भी तुम दिखावा न करने का निर्णय लोगे, तो मैं तुम्हारी मदद करने के लिए मौजूद हूं। मैं तुम्हारी मर्जी के खिलाफ कुछ नहीं कर सकता। ऐसा संभव नहीं, परमात्मा ऐसा होने नहीं देता, क्योंकि उसने तुम्हें पूर्ण स्वतंत्रता दी है और पूर्ण स्वतंत्रता में सभी सम्मिलित है कुछ -भटकाना, सोए रहना, स्वयं को नष्ट करना, सभी कुछ सम्मिलित है - पूर्ण स्वतंत्रता में सभी कुछ सम्मिलित है। और परमात्मा स्वतंत्रता से प्रेम करता है। क्योंकि परमात्मा स्वतंत्रता है, वह परम मुक्ति है।
अंतिम प्रश्न:
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