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पत्नी: प्रिय, जब से हमारा विवाह हुआ तुम मुझे ज्यादा प्यार करते हो या कम?
पति: ज्यादा या कम।
पहला प्रश्न:
भगवान एक बार आपने सात्र के विषय में बोलते हुए कहा था कि एक इंटरव्यू में जब उससे पूछा गया कि आपके जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है? तो सात्र ने उत्तर दिया था. 'सभी कुछजीवन को प्रेम करना, जीवन को जीना, सिगरेट पीना सभी कुछ।'
और इस पर बोलते हुए आपने कहा था कि यह उत्तर बहुत कुछ झेन की भांति है लेकिन क्या सार्च में झेन-चेतना है?
इसीलिए मैंने कहा था, यह उत्तर बहुत कुछ झेन की भांति है। पूरी तरह झेन नहीं है, लेकिन बहुत
कुछ झेन की भांति है। वह करीब-करीब उस सीमा पर है जहां कि वह झेन हो सकता है। वह वहीं का वहीं चिपका हुआ भी रह सकता है जहां कि वह खड़ा हुआ है, और तब वह झेन न बन सकेगा। लेकिन अगर वह छलांग लगा सके तो झेन बन सकता है। सार्च वहीं खड़ा है जहां बुद्ध भी संबोधि को उपलब्ध होने से पहले खड़े थे, लेकिन बुदध भविष्य के लिए खुले हए थे। बुदध अभी खोज रहे थे, वे अभी यात्रा पर थे। और सार्च अपनी नकारात्मकता में ही ठहर गया था। जीवन में नकारात्मकता जरूरी है, लेकिन पर्याप्त नहीं। इसीलिए मैं तुमसे निरंतर कहे चला जाता हूं कि जब तक तुम परमात्मा के प्रति न कहने में सक्षम नहीं हो जाते, तुम हा कहने में भी कभी सक्षम न हो पाओगे। लेकिन केवल न कहना ही पर्याप्त नहीं है। न कहना आवश्यक है, लेकिन व्यक्ति को आगे जाते जाना है -न से ही तक, नकारात्मक से विधायक तक।
सार्च अभी भी नकारात्मक को ही पकड़े हुए है, नहीं को ही पकड़े हुए है। अच्छा है वह कम से कम वहां तक तो आ पहुंचा, लेकिन केवल नकारात्मकता पर्याप्त नहीं है। एक कदम और, फिर जहां नकारात्मकता भी खो जाती है, जहां नकारात्मकता को भी नकार दिया जाता है। नकारात्मक को नकार देना पूर्णरूपेण विधायक हो जाना है। और जब कोई नकारात्मकता को भी नकार देता है, तब उसके संपूर्ण अस्तित्व से ही आती है।